ओटावा के एक प्रमुख कनाडाई थिंक टैंक ‘मैकडोनाल्ड-लॉयर इंस्टीट्यूट’ ने खालिस्तानी चरमपंथ के उभरने में पाकिस्तान की भूमिका पर एक अध्ययन जारी किया है। इंस्टीट्यूट ने कहा कि खालिस्तान पाकिस्तान का प्रॉजेक्ट है और इसे कनाडा में ठग और राजनीतिक चालबाजों ने जिंदा रखा है। इस थिंक टैंक ने सरकार को आगाह किया है कि खालिस्तानी आतंकवादी भारत ही नहीं बल्कि कनाडा के लिए भी बड़ा खतरा बन गए हैं।
वरिष्ठ पत्रकार टेरी मिलेवस्की (Terry Milewski), [पीडीएफ], द्वारा लिखित, यह शोध पत्र खालिस्तान आंदोलन को कवर करता है और पाकिस्तान द्वारा विकसित और पोषित एक भू-राजनीतिक परियोजना के रूप में इसकी वास्तविकता को बताता है। यह पेपर कनाडा और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर लगाए गए खालिस्तान आंदोलन के खतरे पर शोध करता है।
NEW: What’s really behind the Khalistan movement? @CBCTerry finds that the project is nurtured by Pakistan, and that Pakistani-sponsored Khalistani extremism poses serious national security threats to both Canada and India. #cdnpoli #cdnfp
— Macdonald-Laurier Institute (@MLInstitute) September 9, 2020
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कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथ का प्रभाव
भारत के पंजाब प्रांत में सक्रिय खालिस्तानी आतंकियों को पाकिस्तान ने पैदा किया था और ये आतंकी अब न केवल भारत बल्कि कनाडा के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गए हैं।
वरिष्ठ पत्रकार टेरी मिलेवस्की ने अपनी रिपोर्ट ‘खालिस्तान: ए प्रॉजेक्ट ऑफ पाकिस्तान’ में कहा कि खालिस्तान आंदोलन कनाडा और भारत दोनों की ही सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है। पिछले कुछ दशकों में, विशेष रूप से 1985 में खालिस्तानी आतंकवादियों द्वारा एयर इंडिया फ्लाइट 182 ‘कनिष्क’ पर बमबारी की भयानक घटना के बाद, कनाडा में खालिस्तानियों का प्रभाव तेज गति से बढ़ रहा है।
खालिस्तानी समर्थक सिख नेता, जो कनाडा में व्यापक राजनीतिक संरक्षण में हैं, गुरुद्वारा कैश फ्लो और सामुदायिक वोटों पर अपने नियंत्रण के लिए, कथित तौर पर ट्रूडो सरकार पर दबाव डालकर खालिस्तान आतंकवाद के खतरों की वार्षिक रिपोर्ट से हटाने का दबाव बनाया था।
एमएल इंस्टीट्यूट के अध्ययन में कहा गया है कि यह नतीजा एक विस्तृत अंतरराष्ट्रीय लॉबिंग अभियान के बाद सामने आया था।
Why does it matter? In 2018 @Safety_Canada warned that Khalistani extremism was among the top 5 threats to our national security. Yet, following an international lobbying campaign, Ottawa took the unprecedented step of removing this reference from its national security statement.
— Macdonald-Laurier Institute (@MLInstitute) September 9, 2020
खालिस्तान आंदोलन में पाकिस्तान की भूमिका
टेरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस आंदोलन के बाद भी सच्चाई यह है कि कनाडा के सिख इस आंदोलन के जरिए अपने गृह राज्य पंजाब नहीं जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कनाडा के लोगों के लिए पाकिस्तान का यह कदम बड़ा राष्ट्रीय खतरा बन गया है। चूँकि पंजाब में खालिस्तान के कुछ ही समर्थक बचे हैं, इसलिए कनाडा में खालिस्तान के समर्थकों को पाकिस्तानी मदद बढ़ गई है।
रिपोर्ट में खालिस्तानी आंदोलन के विकास और पोषण में पाकिस्तान की भूमिका की जाँच की गई है, जो खालिस्तान नाम के सिखों के लिए एक अलग देश के विचार का समर्थन करता है।
टेरी मिलेवस्की लिखते हैं कि भारत में सिखों के गृह राज्य पंजाब में खालिस्तान आंदोलन को ज्यादा तूल नहीं मिल रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि खालिस्तानी आतंकी नवंबर, 2020 में स्वतंत्र खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह कराना चाहते हैं और जैसे-जैसे यह दिन नजदीक आ रहां है, वैसे-वैसे दुनियाभर में सिख समुदाय में संशय बढ़ता जा रहा है। उन्होंने रिपोर्ट में चेतावनी दी कि जनमत संग्रह चरमपंथी विचारधारा को हवा देगा और युवा कनाडाई लोगों को कट्टरपंथी बनाएगा।
हालाँकि, कनाडा सरकार पहले ही कह चुकी है कि वह खालिस्तान पर नवंबर में होने वाले तथाकथित जनमत संग्रह को ‘सिख फॉर जस्टिस’ जैसे समूहों द्वारा मान्यता नहीं देगी, जिसे 2019 में भारत द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा के पूर्व कैबिनेट मंत्री उज्जल दोसांझ और थिंक टैंक के एक प्रोग्राम डायरेक्टर शुवालॉय मजूमदार ने कहा, “खालिस्तान प्रस्ताव का मार्गदर्शन करने में पाकिस्तान के प्रभाव को समझने की इच्छा रखने वाले किसी भी व्यक्ति को मिल्वेस्की की यह रिपोर्ट जरूर पढ़नी चाहिए।”
जस्टिन ट्रूडो सरकार ने 2015-19 के दौरान अपने पहले कार्यकाल में खालिस्तान समर्थक समूहों के प्रति कथित नरमी को भारत-कनाडा संबंधों में गिरावट का एक प्रमुख कारण बताया। कनाडा में लिबरल पार्टी की सरकार ने खालिस्तान समर्थक समूहों की गतिविधियों को अनुमति देने के पीछे अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला दिया था।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि खालिस्तान का समर्थन भारत में कितना कम है, और यह वास्तव में बहुत कम हो गया है, लेकिन यह पाकिस्तान में अभी भी जीवित है, जहाँ जिहादी समूहों ने अपने साझा दुश्मन, भारत के खिलाफ सिख अलगाववादियों के साथ आम मुद्दा बना दिया है।
कौन हैं टेरी मिलेवस्की
टेरी मिलेवस्की एक अनुभवी पत्रकार हैं। 1967 में एक छात्र के रूप में वह पहली बार भारत आए थे। उस समय उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का साक्षात्कार लिया था। अपने करियर के दौरान कई बार सीबीसी टीवी न्यूज़ के संवाददाता के रूप में मिल्वेस्की ने भारत का दौरा किया। उन्होंने 1986 में एयर इंडिया में बमबारी सहित कई प्रमुख घटनाओं को कवर किया है। वह सीबीसी के लिए वरिष्ठ संवाददाता के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं।