पाकिस्तान निराश है। पाकिस्तानियों में गुस्सा है। एक तो वो खबर थी कि सऊदी अरब ने FATF (Financial Action Task Force) में पाकिस्तान के विरोध में मत दिया और उस कारण से पाकिस्तान बेचारा ‘ग्रे सूची’ में ही रह गया। फिर अब खबर आई है कि अरब देशों ने पाकिस्तान को 27 अक्टूबर को ‘कश्मीर ब्लैक डे’ मनाने की अनुमति देने से साफ़ मना कर दिया है। ऐसे में पाकिस्तानी करें भी तो क्या करें!
Diplomatic sources insist that Saudi Arabia has declined to permit our Embassy in Riyadh and the Consulate in Jeddah to hold programs regarding Kashmir Black Day on 27 October. It must be a facepalm moment for Shah Mehmood Qureshi if true.
— Murtaza Solangi (@murtazasolangi) October 23, 2020
इस मामले पर पाकिस्तानी समाचार समूह ‘नया दौर’ के एग्जीक्यूटिव एडिटर ने ट्वीट भी किया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि सऊदी अरब सरकार ने रियाद में मौजूद दूतावास और जेद्दा स्थित वाणिज्य दूतावास में 27 अक्टूबर को ‘कश्मीर बैक डे’ आयोजन की बात खारिज कर दी है।
22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान समर्थित हमलावरों ने महाराजा हरी सिंह द्वारा किए गए समझौते को तोड़ते हुए कश्मीर पर आक्रमण किया था। 22 अक्टूबर 1947 की देर रात पाकिस्तानी ‘पश्तून’ सेना ने पाकिस्तानी सरकार और पाकिस्तानी सेना की मिलीभगत से गढ़ी हबीबुल्लाह क्षेत्र से जम्मू कश्मीर में दाख़िल होकर मुज़फ्फराबाद में हमला किया था।
इस क्षेत्र पर आज तक पाकिस्तान का अवैध रूप से कब्ज़ा है। उस दौर के दस्तावेज़ों के मुताबिक़ आक्रमण के दौरान सैकड़ों महिलाओं का बलात्कार और अपहरण हुआ था, न जाने कितने घरों में डकैती हुई थी और सैकड़ों आदमियों को सड़कों पर काट दिया गया था।
इस घटना के बाद 26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरी सिंह ने भारत में विलय के समझौते पर हस्ताक्षर करके सहमति जताई। इसके ठीक एक दिन बाद 27 अक्टूबर 1947 को भारतीय सेनाओं को घाटी में एयर लिफ्ट किया गया था। फिर भारतीय सेना ने आक्रामक होकर पश्तूनों के विरुद्ध कार्रवाई की और उन्हें श्रीनगर की तरफ आगे बढ़ने से रोका। पाकिस्तान इस दिन को ‘ब्लैक डे’ के रूप में मनाता है, जिस दिन भारतीय सेना ने अपनी ज़मीन को पाकिस्तानी हमले से सुरक्षित बचाया था।
सऊदी अरब (जिसे पाकिस्तान अपना नज़दीकी सहयोगी मुल्क मानता है) ने FATF पर पाकिस्तान के विरोध में मत दिया, जिसके चलते पाकिस्तान ‘ग्रे सूची’ में बना हुआ है। पहले भी तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात के कयास लगाए गए थे कि सऊदी अरब पाकिस्तान के विरुद्ध मतदान कर सकता है। अब ‘कश्मीर ब्लैक डे’ पर पाकिस्तान को नकारने के कारण सोशल मीडिया पर मौजूद पाकिस्तानियों की खुन्नस देखने लायक है।
Does Saudi vote against Pakistan in FATF????
— Naila Mahsud (@MahsudNaila) October 21, 2020
खुद पाकिस्तानी इस कदर भावुक हो गए कि सऊदी अरब को ‘गद्दार’ तक बताने लगे।
Saudi Arabia not only voted against Pakistan but also did not allow other countries to vote. It has regularly lobbied against Pakistan. Traitor Saudi Arabia#FATF pic.twitter.com/R62zEHWJVy
— Awais Bhatti (@AwaisBh58357353) October 21, 2020
जबकि पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स ने इस मुद्दे पर जानकारी दी कि पाकिस्तान को ग्रे सूची में बनाए रखने में सऊदी अरब की कोई भूमिका नहीं है। पाकिस्तानी सरकार ने इस मुद्दे पर आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि इस संबंध में प्रकाशित होने वाले अधिकाँश मीडिया रिपोर्ट झूठी और आधारहीन हैं।
Rejection of false media report on FATF.
— Govt of Pakistan (@GovtofPakistan) October 22, 2020
Responding to media queries regarding role of Saudi Arabia in assessment of Pakistan’s FATF Action Plan, the Spokesperson categorically rejected the story circulating on segment of the media as false and baseless.#FATF @ForeignOfficePk
गुरुवार (23 अक्टूबर 2020) को पाकिस्तानी सरकार ने दावा किया कि इस तरह की ख़बरें सऊदी अरब और पाकिस्तान का दुष्प्रचार करने के लिए फैलाई जा रही हैं।
Rejection of false media report on FATF.
— Govt of Pakistan (@GovtofPakistan) October 22, 2020
Responding to media queries regarding role of Saudi Arabia in assessment of Pakistan’s FATF Action Plan, the Spokesperson categorically rejected the story circulating on segment of the media as false and baseless.#FATF @ForeignOfficePk
पाकिस्तान को FATF ने फरवरी 2021 तक के लिए ग्रे सूची में रखा है। आतंकवाद पर निगाह रखने वाले वैश्विक वॉचडॉग ने कहा, “पाकिस्तान आतंकवादी फंडिंग के संबंध में प्रदान किए गए 27 बिंदुओं में से 6 बिंदुओं पर अपना पक्ष रखने में असफल रहा। FATF के अध्यक्ष मार्कस प्लेएर ने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवादी फंडिंग पर निगरानी रखने और रोक लगाने के लिए बहुत कुछ करने की ज़रूरत है।
पाकिस्तान ने बीते कई सालों से अपने सहयोगी मुल्कों जैसे चीन, तुर्की, मलेशिया, सऊदी अरब और खाड़ी के देशों के कूटनीतिक सहयोग से खुद को FATF की ग्रे सूची से बाहर रखने में सफल रहा है। क्योंकि अब पाकिस्तान के पास पर्याप्त समर्थन नहीं है, इसलिए वह खुद को ग्रे सूची से बहार नहीं रख सकता है।