UK का सरकारी मीडिया संस्थान BBC अक्सर इस्लामी कट्टरपंथियों और आतंकियों के महिमामंडन के लिए जाना जाता रहा है। अब यही इस्लामी कट्टरपंथी BBC के दफ्तरों के बाहर पहुँच कर हंगामा करने में लगे हुए हैं। न सिर्फ लंदन, बल्कि स्कॉटलैंड में भी सैकड़ों लोग बीबीसी के दफ्तर के बाहर पोस्टर-बैनर लेकर जुटे। स्कॉटलैंड के ग्लासगो के पैसिफिक क़्वे स्थित बीबीसी के दफ्तर के बाहर अफरातफरी का माहौल रहा। इसी तरह एडिनबर्ग रेलवे स्टेशन पर भी कट्टरपंथियों का कब्ज़ा रहा।’
सबसे पहले ग्लासगो के सेन्ट्रल रेलवे स्टेशन पर हमास समर्थकों ने कब्ज़ा जमाया। उसके बाद भीड़ बीबीसी के ब्रॉडकास्टिंग स्टूडियो की तरफ बढ़ चली। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार पर ‘नरसंहार करने वालों के समर्थन’ का आरोप लगाया। उन्होंने फिलिस्तीन को मुक्त करने और युद्ध विराम के लिए नारेबाजी की। साथ ही उन्होंने इजरायल को भी ‘आतंकी देश’ करार दिया। इजरायल ने गाज़ा में जमीनी हमले भी तेज़ कर दिए हैं और अंदर तक सेना घुस चुकी है।
इसके साथ ही हमास समर्थक भीड़ बीबीसी के दफ्तर के बाहर कई बॉडी बैग्स भी छोड़ गई। बता दें कि लाशों को रखने के लिए इन बैग्स का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रदर्शन में महिलाओं और बच्चों का खूब इस्तेमाल किया गया। प्रदर्शनकारियों की संख्या 300 से अधिक बताई जा रही है। प्रदर्शनकारी झंडों के साथ-साथ फेस मास्क और स्कार्फ भी बड़ी संख्या में लेकर आए थे। उन्होंने ‘इंतिफाद’ (विद्रोह) की नारेबाजी भी की। ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और किंग्स कॉलेज के ‘नरसंहार में शामिल’ होने का आरोप लगाया गया।
NEW: Scots have taken part in a Scottish Palestinian Solidarity Campaign protest outside BBC Scotland at Pacific Quay, in Glasgow pic.twitter.com/2fcxSHV4Wu
— The National (@ScotNational) November 4, 2023
इसी तरह लंदन में भी ऑक्सफोर्ड सर्कस और बीबीसी के दफ्तर के बाहर हजारों की भीड़ जुटी। प्रदर्शनकारियों में शामिल एक महिला ने तो ब्रिटेन की पुलिस को ही ‘सूअर’ बता दिया। उसने कहा कि पुलिस ‘हराम’ है। यहाँ तक कि प्रदर्शनकारियों ने 7 अक्टूबर को इजरायल में हुए नरसंहार के लिए भी इजरायली सरकार को ही दोषी ठहरा दिया। इसी तरह ट्राफलगर स्क्वायर पर बच्चों के नकली पुतले डाल कर विरोध प्रदर्शन किया गया। वहाँ जमा हुई भीड़ में से 11 को गिरफ्तार भी किया गया।
याद दिला दें कि ये वही BBC है, जो इस्लामी कट्टरपंथियों का गुणगान करता है और हिन्दू घृणा फैलाता है। बीबीसी की प्रधानमंत्री मोदी के विरोध रिपोर्टिंग खासतौर से गुजरात दंगों के डॉक्यूमेंट्री झूठ से भरे हुए थे। इसी तरह, बीबीसी द्वारा रिपोर्ट की गई लीसेस्टर हिंसा भी उतनी ही झूठी थी। उन्होंने ‘हिंदुत्व’ शब्द को इस तरह पेश करने की कोशिश की जैसे कि यह कुछ नकारात्मक हो। लेस्टर में भड़की हिंसा के बाद बीबीसी ने इस्लामी कट्टरपंथियों और दंगाइयों को क्लीन-चिट दी थी।