नए-नवेले वामपंथी बने नेपाल को एक बार फिर से हिन्दू राष्ट्र की माँग जोर पकड़ने लगी है। यहाँ की जनता पुराने राजतंत्र को याद कर रही है। प्रदर्शनकारियों के कई समूह एक बार फिर से पुराने समय को लाने का संकल्प ले रहे हैं। नेपाल की अधिकतर जनता भी इन प्रदर्शनकरियों के साथ खड़ी दिख रही है। लोगों का मानना है कि वर्तमान समय में भ्र्ष्टाचार और कुव्यवस्था का बोलबोला है जिसे फ़ौरन बदलने की जरूरत है। हिन्दूराष्ट्र बनाने के लिए साल 2023 से शुरू हुए और अब जोर पकड़ चुके इस आंदोलन में नेपाल का हर वर्ग भागीदारी कर रहा है जिसमें व्यापारी, छात्र, नेता और यहाँ तक कि सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बहुत ही कम समय में नेपाली जनता वहाँ की राजनैतिक पार्टियों और नेताओं से ऊब चुकी है। इन नेताओं ने देश की सत्ता तमाम झूठे वादे कर के हासिल की थी। इसमें शिक्षा, भ्र्ष्टाचार मुक्त शासन, बेरोजगारी, बेहतर स्वास्थ्य और सर्वांगीण विकास जैसे वादे शामिल थे। हालाँकि डेढ़ दशक से अधिक समय बीत जाने पर उनमें से किसी भी वादे पर लोगों ने अपने नेताओं को खरा उतरते नहीं देखा। उल्टे अब लोग इन नेताओं की खोखली बातों और भ्रष्टाचार आदि से तंग आ चुके हैं। अब एक बार फिर से हिन्दू राष्ट्र की माँग को ले कर वहाँ की जनता आंदोलित है।
Nepal को हिंदू राष्ट्र (Hindu Rashtra)और Monarchy के रूप में बहाल करने के लिए भारी विरोध प्रदर्शन
— Shining Bharat 🇮🇳 (@UNIQUE_BOY_SITU) March 13, 2024
Protest/Nepal/Indians/Pakistan/Hindus/India Muslims/ pic.twitter.com/9YRwxXfGCH
16 साल पहले तक नेपाल में राजशाही रही थी। तब ज्ञानेंद्र सिंह देश की सर्वोच्च सत्ता हुआ करते थे। देश में मची उथल-पुथल के दौरान उन्होंने सरकार को भंग कर दिया था और कई राजनेताओं को पत्रकारों सहित जेल भेज दिया था। देश में मिलिट्री शासन भी लगा दिया गया था। इस दौरान बड़ी संख्या में खून-खराबा हुआ था। आखिरकार ज्ञानेंद्र सिंह ने कदम पीछे खींच लिए थे और यहीं से नेपाल में कथित लोकतंत्र की शुरुआत हुई थी। साल 2008 में हुए इस बदलाव के बाद से अब तक नेपाल में 13 सरकारें बन चुकी हैं।
🚨 Huge protest erupted in Nepal to restore it as 'Hindu Rashtra' & monarchy.
— Crypto Knight (@0xTotheMooon) March 13, 2024
Previously hindus at Nepal were attacked by Islamists, now nepalis are demanding for hindu rastra#WhatsWrongWithIndia?@GetBlockGames @GaiminIo
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हालाँकि, ये सरकारें जन-अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरीं। उलटे अब लोगों को सत्ता की ताकत से तंग भी किया जा रहा है। राजधानी काठमांडू में हिन्दूराष्ट्र के समर्थन में एक बड़ा प्रदर्शन हु। तब हजारों लोगों के इस प्रदर्शन में शामिल रुद्रराज ने मीडिया से कहा था कि नेपाल में हुए बदलाव से लोग अपने पारम्परिक मूल्यों को खोते जा रहे हैं। इस प्रदर्शन में लोग हाथों में नेपाल का झंडा और राजा ज्ञानेंद्र की तस्वीरें ले कर चल रहे थे। हालाँकि नेपाल की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी नेपाली कॉन्ग्रेस के नेता नारायण प्रकाश सऊद ने देश के फिर से हिन्दूराष्ट्र और राजतन्त्र जैसी संभावनाओं से इंकार किया है।
ऑपइंडिया ने पूरे नेपाल में हिंदूवादी मूवमेंट चला रही हिन्दू सम्राट सेना के केंद्रीय अध्यक्ष राजेश कुमार यादव से बात की। उन्होंने हमें बताया कि हिन्दुओं को आपस में वामपंथी और दक्षिणपंथी के मुद्दों पर उलझा कर चीनियों और इस्लामी ताकतों ने अपना उल्लू सीधा किया है। राजेश ने हमें आगे बताया कि अब एक बार फिर से नेपाल को हिन्दूराष्ट्र बनाने की माँग शुरू हो चुकी है तो इसे अंजाम तक लाया जाएगा। वहीं नेपाल के ही कृष्ण कुमार ने ऑपइंडिया से बातचीत में बताया कि जब साल 2008 में नेपाल का नया संविधान बना था तब लोग जागरूक नहीं थे और भाईचारे के नशे में थे। कृष्ण कुमार का कहना है कि अब लोगों ने कथित भाईचारे का खुमार उतर चुका है क्योंकि वो आए दिन हमलों के शिकार हो रहे है।
साल 2022 में ऑपइंडिया ने भारत की सीमा से लगने वाले नेपाल के दाँग और कपिलवस्तु जिलों का दौरा किया था। इस दौरान पता इस बात का खुलासा हुआ था कि न सिर्फ भारत बल्कि नेपाल की तरफ के भी कई सीमावर्ती गाँव और शहर मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं। हालात ऐसे मिले कि कुछ गाँवों में प्रधानी का चुनाव लड़ने के लिए हिन्दू प्रत्याशी ही नहीं खड़े हुए थे। इसके अलावा सीमा के दोनों तरफ सैकड़ों की तादाद में दरगाहें, मस्जिदें और अन्य इबादतगाहें बना ली गईं थीं। हालाँकि ऑपइंडिया की खबर का असर हुआ और जाँच के बाद भारत की सीमा पर बने तमाम अवैध मदरसों को बंद करने का आदेश दिया गया है। तब खुद नेपाल के तत्कालीन सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने हालत को विस्फोटक जैसा बताते भारत और नेपाल दोनों को सीमावर्ती क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत बताई थी।