बांग्लादेश में प्रतिमाओं के साथ तोड़फोड़ का सिलसिला जारी है। हाल ही में वहाँ बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को नुकसान पहुँचाया गया था। अब क्रांतिकारी बाघा जतिन की प्रतिमा के साथ तोड़फोड़ हुई है। साथ ही प्रतिमा को विकृत कर के उसे अपमानित भी किया गया। जतिन्द्रनाथ मुखर्जी उर्फ़ बाघा जतिन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। ये घटना गुरुवार (दिसंबर 17, 2020) की रात कुश्तिया जिले में स्थित काया कॉलेज में हुई।
इस मामले में कॉलेज प्रशासन का भी हाथ सामने आ रहा है। बांग्लादेश पुलिस ने इस घटना की जाँच के क्रम में कॉलेज की गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष निजामुल हक़ उर्फ़ चुन्नू, सदस्य अनिसुर रहमान, कॉलेज के प्रिंसिपल हारून उर रशीद और नाइट वॉचमैन ख़लीलुर रहमान को हिरासत में लिया है। इन सभी संदिग्धों से पूछताछ जारी है। बताया जा रहा है कि इन्होने मिलीभगत कर के प्रतिमा तोड़ी और आरोपितों की मदद की। लेखिका तस्लीमा नसरीन ने इसे जिहादी कट्टरपंथियों की करतूत करार दिया।
इससे पहले अबू बकर और सबुज नामक के दो मदरसा छात्रों ने कोर्ट में कबूल किया था कि वो कट्टरपंथी एंटी-लिबरेशन नेताओं मामुनुल और बबुनागरी से प्रेरित थे। इसीलिए, उन्होंने दिसंबर 5 को बंगबंधु की प्रतिमा के साथ तोड़फोड़ किया। मदरसा के शिक्षक मौलानाओं अल अमीन और युसूफ अली को इसके अगले दिन गिरफ्तार किया गया। इन दोनों ने ही आरोपितों को भागने में मदद की थी बाद में जुडिशल मजिस्ट्रेट दिलावर हुसैन के समक्ष उन्होंने अपना गुनाह कबूल कर लिया।
वहीं बाघा जतिन की प्रतिमा के साथ तोड़फोड़ किए जाने के मामले में कुश्तिया के एसपी तनवीर अराफत ने कहा है कि प्रतिमा को बचाने में कॉलेज प्रशासन ने पूरी तरह लापरवाही दिखाई है। साथ ही उन्होंने इस सम्बन्ध में दिए गए सरकारी दिशानिर्देशों का भी उल्लंघन किया है। पूछताछ समाप्त होने के बाद निर्णय लिया जाएगा कि उन्हें छोड़ना है या नहीं। दिसंबर 7, 1879 को नदिया जिले के कुश्तिया में ही क्रांतिकारी बाघा जतिन का जन्म हुआ था, जो अब बांग्लादेश में पड़ता है।
Last night Bangladeshi Jihadi fundamentalists have destroyed the statue of Bagha Jatin, the Indian freedom fighter and the ‘Bengal Tiger’ whom the British feared. Hasina must take action against homegrown jihadists. pic.twitter.com/JiBCkoLkcd
— taslima nasreen (@taslimanasreen) December 18, 2020
बाघा जतिन बंगाल के क्रांतिकारी दल ‘जुगांतर’ के मुख्य नेता थे। जहाँ उनके पिता वेद-वेदाङ्ग में पारंगत थे, वहीं माता कवि थीं। 5 वर्ष की उम्र में ही उनके पिता चल बसे थे। उन्होंने रॉयल बंगाल टाइगर से लड़ाई कर के उसे मार डाला था, जिसके बाद उनका नाम बाघा जतिन पड़ा। उन्होंने देवघर में क्रांतिकारियों के लिए बम फैक्ट्री स्थापित की थी। अंग्रेजों के साथ क्रांतिकारियों की हुई 75 मिनट की गोलीबारी में घायल होने से उनकी मृत्यु हो गई थी। अंग्रेजों ने उन पर इनाम भी रखा हुआ था।
न सिर्फ क्रांतिकारियों, बल्कि बांग्लादेश में मंदिरों और हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमाओं पर भी हमले लगातार बढ़ रहे हैं। सितम्बर 2020 में गाजीपुर, ढाका के दक्खिन सलाना इलाके में स्थित काली मंदिर में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को खंडित कर दिया गया था। उन्हें तोड़ दिया गया था। मंदिर प्रशासन ने बताया था कि कई ‘प्रभावशाली स्थानीय लोग’ मंदिर की जमीन को हड़पने के लिए घाट लगाए बैठे हैं।