रूस ने पाकिस्तान द्वारा कलाश्निकोव राइफलों की माँग ठुकरा दी है। पाकिस्तान ने इन राइफलों की ख़रीद के लिए रूस से निवेदन किया था, जिसे नकार दिया गया है। नए जनरेशन की इन कलाश्निकोव राइफल्स (जिन्हें AK भी कहा जाता है) अब पाकिस्तान को रूस से नहीं मिलेंगी। साथ ही रूस ने भारत को आश्वस्त किया है कि पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह का रक्षा व्यापार नहीं किया जाएगा। ‘द प्रिंट’ ने रक्षा विभाग के सूत्रों के हवाले से कहा है कि भारत को इस विषय में इस वर्ष की शुरुआत में ही सूचित कर दिया गया था।
पाकिस्तान ने एके सीरीज की 50,000 राइफल्स ख़रीदने के लिए रूस के पास प्रस्ताव भेजा था। पाकिस्तान इस क़दम के द्वारा रूस के साथ सैन्य संबंधों को मजबूत करना चाहता था। हालाँकि, पाकिस्तान ने राइफल के किन मॉडल्स की माँग की थी, यह स्पष्ट नहीं है। पाकिस्तान के इस क़दम से भारत को भी हैरानी हुई थी क्योंकि पाकिस्तानी सेना सामान्यतः चीन निर्मित एके-56 राइफल का ही प्रयोग करती है।
चीन निर्मित एके-56 राइफल्स एके-47 का चाइनीज वर्जन है। यह वजन में एके-47 से हल्का होता है। जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के पास से ऐसे कई एके-56 राइफल्स जब्त किए जा चुके हैं। रूस को इस बात की भी चिंता थी कि पाकिस्तान को दिए जाने वाले हथियार आतंकियों के हाथ लग सकते हैं। भारत ने भी रूस के समक्ष इस चिंता को रखा था, जिस पर रूस की तरफ से पाकिस्तान के साथ सैन्य व्यापार न करने का आश्वासन आया।
Indian intelligence agencies have been keeping a close watch on the activities of Pak army and their attempts to build ties with Russia. Agencies had flagged many other proposals made by Pak to Russia such as T90 tanks and new air defence systems following the #Balakot airstrike
— Snehesh Alex Philip (@sneheshphilip) July 17, 2019
भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियाँ इस बात पर कड़ी नज़र रखी है कि पाकिस्तान द्वारा रूस के साथ सैन्य व रक्षा समझौतों के प्रयासों की दिशा में क्या प्रगति हो रही है? पाकिस्तान के ऐसे कई प्रयासों को भारतीय एजेंसियाँ रोक चुकी हैं। बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने रूस से उन्नत एयर डिफेंस तकनीक ख़रीदने का भी प्रयास किया था। 2015 में पाकिस्तान ने रूस से 4 Mi-35M हैलीकॉप्टर ख़रीदे थे, जो डिलीवर किए जा चुके हैं। 2016 में दोनों देशों की सेनाओं ने संयुक्त युद्धाभ्यास भी किया था। भारत इस घटनाक्रम पर पूरी नज़र रखी हुई थी।