पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों का अपहरण करके उनको जबरन इस्लाम कबूल करवाने और निकाह कराए जाने के कई मामलों के बीच सिमरन नाम की बच्चीं के साथ भी ऐसा ही किए जाने की खबर आई थी, जिसके बाद परिवार का फूट-फूट कर रोते हुए वीडियो वायरल हो गया था। अब सिमरन के परिवार को अपनी बच्ची से मिलने की इजाजत तो दे दी गई है लेकिन उसकी मानसिक अवस्था ऐसी हो गई है कि वो किसी से कुछ बात करने को तैयार नहीं।
‘वॉइस ऑफ पाकिस्तान माइनॉरिटी’ ने ट्विटर पर उस वीडियो को शेयर क़िया, जिसमें पाकिस्तान का पीड़ित हिन्दू परिवार अपनी बच्ची सिमरन से मिल रहा है लेकिन वो किसी से कुछ बात नहीं कर रही है और न ही किसी के सवालों का जवाब दे रही है। सिमरन की माँ और चाची को उससे मुलाकात करने की इजाजत दी गई। वीडियो में उसकी माँ को उससे मिन्नतें करते हुए देखा जा सकता है।
बताया गया है कि सिमरन को इतना प्रताड़ित किया गया है, धमकियाँ दी गई हैं और उस स्तर पर उसका ब्रेनवॉश किया गया है कि वो एक मूर्ति की तरह बैठी हुई है और उसकी माँ द्वारा उसके पैर छू कर मिन्नतें किए जाने को बावजूद कुछ भी बोल पाने की स्थिति में नहीं है। उसकी माँ बार-बार उसके पाँव छूती है, उसे पुचकारती है और उसे प्यार से सहलाती है लेकिन सिमरन ने उनके किसी सवाल का जवाब नहीं दिया।
Finally, Simran’s mother and aunt were allowed to meet her, but she was tortured, threatened and brainwashed to such an extent that she just sat there like a statue and refused to talk to anyone even after her mother crouched to her feet. #SpeakUpForPakMinorities, pic.twitter.com/Q46PYofZiO
— Voice of Pakistan Minority (@voice_minority) August 26, 2020
बताते चलें कि सिमरन का कुछ समय पहले घोटकी-सिंध के मीरपुर इलाके से कट्टरपंथियों ने अपहरण किया था। फिर बलात्कार कर उसे इस्लाम कबूल करवा दिया गया। परिवार ने इंसाफ के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई। लेकिन कोर्ट ने उसे यह कहकर खारिज कर दिया कि एक इस्लाम मानने वाले का गैर-इस्लामी परिवार से कोई संबंध नहीं होता। अगर उन्हें उनसे मिलना है तो उन्हें भी इस्लाम कबूल करना होगा।
राहत ऑस्टिन का सिमरन मामले में कहना है कि कोर्ट ने यह फैसला लिखित में नहीं दिया। जब परिवार को यह बात बोली गई तब लड़की कठघरे में न्यायाधीश के सामने थी। लेकिन माँ और हिंदू परिजनों को उससे मिलने नहीं दिया गया। जज ने धर्म परिवर्तन की बात भी तब बोली जब उन्होंने अपनी बेटी से मिलने का अनुरोध किया। ऐसे कई मामले हैं जो पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दयनीय स्थिति को बयान करते हैं।