आईएमएफ, यूएई, सऊदी अरब, अमेरिका, चीन जैसे देशों के कर्ज चले दबा पाकिस्तान साँस भी नहीं ले पा रहा, फिर भी उसके हुक्मरान जनता से बड़े बड़े वादे करने में पीछे नहीं हट रहे। पिछले डेढ़ साल से सत्ता संभाल रहे प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने पाकिस्तान की जनता को सपना दिखाने की कोशिश की है कि जल्द ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सुधर जाएगी। उसे किसी कर्ज की जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन उससे पहले आखिरी बार आईएमएफ से कर्ज लेना पड़ेगा।
दरअसल, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की कमर टूट चुकी है। मुद्रा की हालत खस्ता है। देश कर्ज तले दबा है। आयात करने के लिए विदेशी मुद्रा नहीं है, लेकिन शाहबाज शरीफ पाकिस्तान की जनता को ये कह कर भरोसे में ले रहे हैं कि आईएमएफ से जो कर्ज मिलेगा, उससे पाकिस्तान की गरीबी दूर होगी। ये सरकार पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को इतना मजबूत कर देगी, कि उसे आईएमएफ से फिर से कभी कर्ज नहीं लेना पड़ेगा।
सरकारी टीवी चैनल पर अपनी सरकार के 100 दिन पूरे होने के मौके पर वो देश की आवाम को संबोधित कर रहे थे और तब उन्होंने ये दावा और वादा दोनों किया। शरीफ ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि यह बेलआउट पैकेज पाकिस्तान के इतिहास का आखिरी पैकेज होगा। पाकिस्तान की सरकार अपनी धीमी अर्थव्यवस्था को ताकत देने के लिए आईएमएफ से एक और बेलआउट पैकेज लेने पर बातचीत कर रही है। यह पैकेज 6 से 8 बिलियन डॉलर का हो सकता है। हाल ही में आए पाकिस्तानी बजट में भी पाकिस्तान ने आईएमएफ की शर्तों के अनुसार ही नीतियाँ बनाने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा इंशाअल्लाह, यह पाकिस्तान के इतिहास का आखिरी बेलआउट पैकेज होगा।
पाक पीएम ने कहा कि इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हम सभी को अपने मुल्क की खातिर परेशानियाँ उठानी पड़ेगी। यह रास्ता मुश्किल भरा है, हमारी सरकार यह बदलाव करने के लिए तैयार है। शरीफ ने कहा कि हम उन सभी संस्थानों, विभागों और मंत्रालयों को बंद करेंगे जो आवाम के लिए कोई काम नहीं करते और देश पर एक बोझ की तरह हैं। अपनी 100 दिन की सरकार की पीठ थपथपाते हुए शरीफ ने दावा किया कि 4 मार्च, जबसे वह सत्ता में बैठे हैं तबसे मंहगाई दर 38 फीसदी से घटकर 12 फीसदी पर आ गई है।
तबाही की कगार पर पहुँचा पाकिस्तान, खजाना खाली
भारत से मुकाबले की कोशिश करता पाकिस्तान तबाही की कगार पर पहुँच चुका है। पाकिस्तान के पास अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रहा है। पाकिस्तान के पास महज इतनी ही विदेशी मुद्रा बची है कि वो सिर्फ 2 माह तक ही सामान खरीद सकता है, लेकिन उसके ऊपर बढ़ता कर्ज सुरसा के मुँह की तरह बढ़ता जा रहा है। उसे विदेशी कर्ज की किश्तें चुकाने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, यहाँ तक कि हुक्मरानों को पिछले कई सालों से विदेशी सरकारों से अनुदान माँगने के लिए दौरे करने पड़ रहे हैं। इस बीच, पाकिस्तान का फॉरेक्स रिजर्व महज 9 अरब डॉलर का ही बचा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार गिरावट के साथ 9 अरब डॉलर के करीब बना हुआ है। वहीं, पाकिस्तानी रुपया यूएस डॉलर के मुकाबले 278 पर है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की लेटेस्ट वीकली अपडेट के अनुसार, 7 जून 2024 को समाप्त हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 6 मिलियन डॉलर की गिरावट के साथ 9.10 अरब डॉलर रहा। यह मुद्रा भंडार 2 महीने से कम के आयात के जितना ही है। अगर पाकिस्तान ने कुछ मजबूत कदम नहीं उठाए, तो वह विदेशों से कुछ भी आयात नहीं कर पाएगा।