Thursday, November 14, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीय'मरने दूँगा बच्चों को, नहीं बचाऊँगा... उनकी मौत से दिखेगी इजरायली क्रूरता': 36 सेकंड...

‘मरने दूँगा बच्चों को, नहीं बचाऊँगा… उनकी मौत से दिखेगी इजरायली क्रूरता’: 36 सेकंड के कॉल से समझें इस्लामी फिलिस्तीनी मानसिकता

IDF उन्हें समझाता है कि इमारत पर बम गिरने वाली है, इसीलिए इसे खाली कराना ज़रूरी है। इस पर उधर से कहा जाता है कि तुम जहाँ मन हो बॉम्बिंग करो।

‘इजरायल बहुत गलत कर रहा है। कमजोर फिलिस्तिनियों को मार रहा है। फिलिस्तीनी बच्चों के शव मलबे से निकाले जा रहे हैं। उनके जूतों में खून लगा हुआ है। उनके बेजान लटके हाथ दिख रहे हैं।’ – यही 4-5 लाइन या 4-5 फोटो आपको सोशल मीडिया से लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया खबरों में दिख रही होगी। लेकिन कहानी में ट्विस्ट है। पहले नीचे के ट्वीट को गौर से देखते हैं। इस वीडियो में अरबी में कही जा रही बातों का अंग्रेजी अनुवाद भी दिया गया है।

ये वीडियो है दो लोगों की बातचीत का। इनमें से एक ‘इजरायल डिफेंस फोर्सेज (IDF)’ का प्रतिनिधि है तो एक फिलिस्तीन की गाज़ा पट्टी स्थित एक इमारत के संचालक का। जैसा कि इजरायल दोहराता आया है, उसने किसी भी इमारत को ध्वस्त करने से पहले वहाँ के लोगों को बाहर निकलने के लिए पर्याप्त वक़्त और पूर्व-सूचना दी है। समाचार एजेंसी अल-जज़ीरा की इमारत को तबाह करने से पहले भी उन्हें बाहर निकलने को कह दिया गया था।

इसी तरह एक अन्य ठिकाने को निशाना बनाने से पहले इजरायल ने वहाँ फोन कॉल कर के आम लोगों को 1 घंटे में बाहर निकालने को कहा। इसमें फिलिस्तीन की तरफ से कहा जाता है कि वो हर व्यक्ति को इमारत से बाहर नहीं निकाल सकता और इसके लिए कम से कम 2 घंटे चाहिए होंगे। इस पर IDF उन्हें समझाता है कि इमारत पर बम गिरने वाली है, इसीलिए इसे खाली कराना ज़रूरी है। इस पर उधर से कहा जाता है कि तुम जहाँ मन हो बॉम्बिंग करो।

IDF इस रूखे से जवाब पर बड़े प्यार से समझाता है, “नहीं भाई। हम वो हर कुछ करेंगे जिससे आपकी जान बच जाए।” इस पर फिलिस्तीन का अधिकारी कहता है कि वो मरना चाहता है और इमारत में मौजूद सभी लोग मरना चाहते हैं। IDF उसे बार-बार समझाता है कि क्या कम से कम महिलाओं व बच्चों को बचाने की भी उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं है? इस पर फिलिस्तीन की तरफ से कहा जाता है कि अगर बच्चों को मरने की ज़रूरत है तो उन्हें मरने दो।

अंत में व्यक्ति इसका कारण भी बता देता है। वो कहता है कि दुनिया को इजरायल की क्रूरता के बारे में बताने के लिए वो बच्चों को इमारत से बाहर नहीं निकालेगा, उन्हें नहीं बचाएगा और मरने देगा। बमबारी से पहले 1 घंटे का समय दिए जाने के बावजूद इस तरह की भाषा बताती है कि फिलिस्तीनी महिलाओं बच्चों को बचाने के लिए पर्याप्त वक़्त मिलने के बावजूद उन्हें जानबूझ कर मौत के मुँह में झोंक रहे हैं, ताकि इजरायल को बदनाम किया जा सके।

बता दें कि जहाँ एक तरफ इजरायल ‘आयरन डोम‘ से फिलिस्तीनी रॉकेट्स को रोक कर अपने लोगों की जान बचा रहा है, वहीं उसने अब पिछले 10 वर्षों से हमास के आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एक मेट्रो टनल को तबाह कर दिया है। इसी टनल के माध्यम से आतंकी आवागमन, हथियारों की तस्करी और प्रशिक्षण का कार्य करते थे। मात्र 5 दिनों में इजरायल ने इसे नेस्तनाबूत कर दिया। वहीं हमास के कई रॉकेट्स मिसफायर होकर गाज़ा पट्टी में ही गिरे हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

भारत माता की मूर्ति क्यों उठवाई: मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस की कार्रवाई को बताया ‘अत्याचार’, कहा- BJP को वापस करो

मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस को निर्देश दिया है कि वो भाजपा कार्यालय से उठाई गई 'भारत माता' की मूर्ति को वापस करें।

अमेरिकी कैंपसों को ‘मेरिट’ वाले दिन लौटाएँगे डोनाल्ड ट्रंप? कॉलेजों को ‘वामपंथी सनक’ से मुक्त कराने का जता चुके हैं इरादा, जनिए क्या है...

ट्रम्प ने कहा कि 'कट्टरपंथी मार्क्सवादी सनकी' ने कॉलेजों में घुसपैठ की है और करदाताओं के पैसे को अपने वैचारिक एजेंडे को फैलाने में लगाया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -