इजराइल में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व वाली गठबंधन की जीत हुई है। उनकी दक्षिणपंथी ‘Likud Party’ को 35 सीटें मिली हैं। हालाँकि, उनके प्रतिद्वंदी बेनी गांट्ज़ की पार्टी को भी इतनी ही सीटें मिली है लेकिन अन्य दक्षिणपंथी पार्टियों के सहयोग से 69 वर्षीय बेंजामिन नेतन्याहू एक बार फिर से अपने ‘शक्तिशाली’ देश का नेतृत्व करने को तैयार हैं। बेनी इजराइली सेना के प्रमुख रहे हैं। 120 सदस्यीय ‘Knesset में’ बहुमत के लिए 61 सीटों की ज़रूरत होती है। नेतन्याहू की पार्टी को 2014 में हुए चुनाव से इस बार 5 सीटें अधिक मिली है। सभी दक्षिणपथी पार्टियों के गठबंधन को मिला दें तो उनकी सीटों की संख्या 65 पहुँच जाती है।
תודה ♥️ pic.twitter.com/nucHw9ng0R
— Benjamin Netanyahu (@netanyahu) April 10, 2019
इसके साथ ही इस साल के अंत तक नेतन्याहू इजराइल के सबसे लम्बे कार्यकाल वाले प्रधानमंत्री हो जाएँगे। वो इजराइल के संस्थापक पितृपुरुष डेविड बेन-गुरियन को पीछे छोड़ देंगे। नेतन्याहू पर हाल के दिनों में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे लेकिन उनकी जीत से पता चलता है कि जनता के बीच उनकी स्वीकार्यता कम नहीं हुई है। नेतन्याहू ने जीत की ख़ुशी में समर्थकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भले ही ये दक्षिणपंथी सरकार है लेकिन वो सभी के प्रधानमंत्री होंगे। उन्होंने कहा कि वो राइट, लेफ्ट, Jews, Non-Jews- इन सभी के पीएम होंगे। उन्होंने पिछले चुनाव से भी ज्यादा सीटें देने के लिए इजराइल की जनता का धन्यवाद किया।
शुरुआती एग्जिट पोल्स में सेंटर-लेफ्ट बेनी की जीत की सम्भावना दिख रही थी लेकिन चुनाव परिणाम आने पर पता चला की ये काँटे की टक्कर थी। नेतन्याहू को दक्षिणपंथी, राष्ट्रवादी व धार्मिक पार्टियों का समर्थन मिला है। नेतन्याहू को प्यार से वहाँ की जनता उनके निकनेम ‘बीबी’ से पुकारती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उन्हें ट्विटर पर बीबी कहकर ही सम्बोधित करते हैं। जब पीएम मोदी 2017 में इजराइल गए थे तो पीएम नेतन्याहू ने कहा था कि उन्होंने इसके लिए 70 वर्ष का बहुत लम्बा इंतजार किया है। बता दें कि मोदी इजराइल का दौरा करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं।
Prime Minister @netanyahu knows how to win and how to get the job done. Analysis by @HerbKeinonhttps://t.co/Dk7lhmCuxJ
— The Jerusalem Post (@Jerusalem_Post) April 10, 2019
नेतन्याहू ने सुरक्षा के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था और ये जनता के बीच प्रमुख मुद्दा बनकर उभरा। वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी लेफ्टिनेंट जनरल बेनी गांट्ज़ ने नवंबर ब्लू वाइट पार्टी का गठन किया था। पूर्व सेना प्रमुख ने कहा था कि इजराइल रास्ता भटक चुका है और वो देश में फिर से एकता स्थापित करेंगे। नेतन्याहू ने अपने चुनावी प्रतिद्वंद्वियों को ‘कमज़ोर लेफ्टिस्ट्स’ बताया था। उनके ख़िलाफ़ तीन पूर्व सेना प्रमुखों का गुट था। उन्होंने विपक्ष और मीडिया द्वारा अपने ख़िलाफ़ लगाए भ्रष्टाचार के आरोपों को ‘Witch Hunt’ बताया था। जनता ने ‘किंग बीबी’ के नारे लगाकर उनकी जीत का उत्सव मनाया।
बता दें कि अभी आर्थिक और रक्षा क्षेत्र में भारत और इजराइल के सम्बन्ध काफ़ी अच्छे हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा व्यापार बढ़कर क़रीब 9 बिलियन डॉलर हो गया है। मिडिल ईस्ट में भी भारत अपना अहम किरदार निभाने के लिए तैयार है और इसके लिए इजराइल से उनके अच्छे संबंधों का फ़ायदा मिल सकता है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में कहा था कि इजराइल और भारत के अच्छे संबंधों को फिलीस्तीन अपने लिए फ़ायदे के तौर पर देखता है।