शिव सेना महाराष्ट्र में लगने जा रहे राष्ट्रपति शासन को चुनौती देगी। यही नहीं, मीडिया ख़बरों के अनुसार, शिवसेना की तरफ से अदालत में यह मामला वरिष्ठ वकील और कॉन्ग्रेस नेता कपिल सिब्बल द्वारा पेश किया जाएगा।
ऐसे में जब कपिल सिब्बल की शरण में शिव सेना पहुँच गई है तो याद करना ज़रूरी है कि इसी शिव सेना ने एक समय में कपिल सिब्बल को ‘शराब पीकर उत्पात मचाने वाला बंदर’ कहा था। वह भी ज़्यादा नहीं, महज़ 5 साल से कुछ समय पहले।
सामना के सम्पादकीय में सिब्बल को निशाने पर लेकर कहा गया था कि 16 मई (2014 के आम चुनावों के नतीजों का दिन) के बाद मानसिक रोगियों का इलाज किया जाएगा।
Kapil Sibal is called monkey in Saamna of Shiv Sena….. I feel dat more Kapil speaks foul for N Modi, mor he condemns him slf only.
— CA R K Saxena (@rksaxenadel) May 5, 2014
एक ट्विटर यूज़र ने तो इसे शिव सेना के गर्त का प्रतीक बता दया कि उसे कपिल सिब्बल की ज़रूरत आन पड़ी है।
New low for Shiv Sena. Kapil Sibal to represent them. https://t.co/VHZrC76p85
— Keh Ke Peheno (@coolfunnytshirt) November 12, 2019
शिव सेना भले ही कपिल सिब्बल के साथ अपना इतिहास भूल गई हो लेकिन लोगों को याद है। और वे मज़े लेकर उसे भी याद दिला रहे हैं।
शिवसेना का मुखपत्र ‘सामना’ में @KapilSibal की तुलना बंदर से की..#ShivSenaCheatsMaharashtra #शिवसेना_जो_कभी_बालासाहब_की_थीhttps://t.co/BDfmE1eD1U
— Piyush Kashyap (@TheRSS_Piyussh) November 12, 2019
दरअसल शिवसेना ने बहुमत सिद्ध करने के लिए राज्यपाल से तीन दिन का समय माँगा था, लेकिन राज्यपाल ने समय देने से इनकार कर दिया। पहले (भाजपा) और दूसरे (शिवसेना) सबसे बड़े दल के विफल हो जाने के बाद राज्यपाल ने नियमानुसार, तीसरे सबसे बड़े दल NCP को सरकार गठन के लिए आमंत्रित किया था।
शिवसेना, जिसने सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से अपने नामित अरविंद सावंत को बाहर निकाला, उसे राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी और कॉन्ग्रेस से समर्थन के साथ सरकार बनाने की उम्मीद की थी। हालाँकि, आदित्य ठाकरे की अगुवाई में शिवसेना के नेताओं ने महाराष्ट्र के राज्यपाल से मुलाक़ात के बाद बताया कि कॉन्ग्रेस और NCP सरकार बनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन NCP और कॉन्ग्रेस दोनों ने स्पष्ट किया कि उन्होंने शिवसेना को समर्थन दिए जाने के संबंध में कोई पत्र नहीं भेजा है। कॉन्ग्रेस द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में इस बात का उल्लेख भी किया गया कि पार्टी शरद पवार से बात कर रही थी, और उन्होंने शिवसेना के बारे में किसी तरह का कोई ज़िक्र नहीं किया।
राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने और बहुमत सिद्ध करने के लिए सोमवार (11 नवंबर) को शाम 7.30 बजे तक का समय दिया था। इस पर, शिवसेना नेताओं ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की और उन्हें सूचित किया कि वे सरकार बनाने के इच्छुक हैं, लेकिन बहुमत सिद्ध करने के लिए उन्हें अतिरिक्त दो दिनों की आवश्यकता है।
राज्यपाल को समर्थन से जुड़े अपेक्षित पत्र को न दिखा पाने की स्थिति में उन्होंने तीसरी सबसे बड़ी पार्टी NCP के प्रमुख शरद पवार को राज्य में सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। इस पर भड़की शिव सेना अब सुप्रीम कोर्ट पहुँच रही है कपिल सिब्बल को लेकर।