27 फरवरी को श्रीनगर में हेलीकॉप्टर दुर्घटना की जाँच के लिए IAF कोर्ट ऑफ एन्क्वायरी के गठन के संदर्भ में झूठी ख़बर फैलाने के लिए NDTV के पूर्व पत्रकार और वर्तमान बिजनेस स्टैंडर्ड के स्तंभकार, अजय शुक्ला को भारतीय वायु सेना ने आड़े हाथों लेते हुए ट्विटर पर उनके ब्लॉग का जवाब दिया।
CoI of aircraft accidents are meticulous & time consuming. All past inquiries of aircraft accidents bear testimony to this. Proceedings of a CoI are not commented upon by IAF till completion of the inquiry in all cases.There is no connection between elections & completion of CoI.
— Indian Air Force (@IAF_MCC) April 27, 2019
भारतीय वायु सेना के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से कहा गया कि अजय शुक्ला ने अपने ब्लॉग में ग़लत अनुमान लगाया था कि 27 फरवरी को श्रीनगर में हुई Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर दुर्घटना की जाँच के लिए गठित IAF कोर्ट ऑफ एन्क्वायरी को कुछ समय के लिए रोका गया गया है। भारतीय वायु सेना ने कहा, “यह उनकी कल्पना है और भारतीय वायु सेना इसे स्पष्ट रूप से नकारती है।”
IAF ने यह भी कहा कि विमान दुर्घटनाओं की कोर्ट ऑफ़ एन्क्वॉयरी पूरी होने में कुछ समय लगेगा। सभी मामलों में जाँच पूरी होने तक IAF द्वारा एक कोर्ट ऑफ़ एन्क्वायरी की कार्यवाही पर टिप्पणी नहीं की जा सकती। वायुसेना ने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव और कोर्ट ऑफ़ एन्क्वॉयरी पूरा होने के बीच कोई संबंध नहीं है।
अजय शुक्ला ने लिखा था कि भारतीय वायु सेना को आदेश दिया गया है कि वह चुनाव तक अपनी कोर्ट ऑफ़ एन्क्वायरी की कार्यवाही रोककर रखे जिसमें यह सामने आने वाला था कि एयरफोर्स का हेलीकॉप्टर बालाकोट हमले के एक दिन बाद “Friendly Fire” में वायुसेना की ही मिसाइल द्वारा मार गिराया गया था। शुक्ला के अनुसार यह बात सामने आ जाती तो सरकार पर और चुनावों पर इसका बुरा असर पड़ता इसीलिए सरकार ने कोर्ट ऑफ़ इन्क्वायरी रोक रखी थी। भारतीय वायुसेना ने शुक्ला के इन दावों का खंडन किया है।
Indian Air Force @IAF_MCC has been ordered to put on hold (until after the elections) its Court of Inquiry findings that the IAF helicopter shot down the day after the Balakot strike was downed by an IAF air defence missile in a “friendly fire” incident. https://t.co/vVsEb8sSy3
— Ajai Shukla (@ajaishukla) April 27, 2019
इसके अलावा, अजय शुक्ला ने अपने ब्लॉग में यह भी लिखा था कि भारतीय वायु सेना ने इन वाहियात अटकलों पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया था, यह कहते हुए कि पूछताछ अभी भी जारी है और किसी निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए कोर्ट ऑफ़ एन्क्वायरी को समय लगता है और इस पर कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती।
यह स्पष्ट है कि अजय शुक्ला ने अपने बेतुके सिद्धांतों के साथ IAF कोर्ट ऑफ़ एन्क्वायरी के नाम पर 2019 के चुनावों में भ्रामकता फैलाने का प्रयास किया। उनकी मंशा रहती है कि वो पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत सरकार की ओर से किए गए अभियानों से यह सिद्ध कर सकें कि सरकार इससे कुछ छिपाने का काम कर रही है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद अजय शुक्ला, भारत पर पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे आतंक और बलिदानियों के परिवारों के बारे में बात करने की बजाय आतंकवादी हमले से प्रधानमंत्री मोदी को मिलने वाले ‘लाभ’ पर अधिक चिंतित रहते हैं। वास्तव में यह स्पष्ट झूठ अन्य तथाकथित पत्रकारों द्वारा भी आगे बढ़ाया गया था।
बालाकोट हवाई हमले पर जिन पत्रकारों को भारत सरकार पर संदेह था, अजय शुक्ला ने उन्हीं के झूठ को और आगे बढ़ाने का काम किया। इस झूठ को आगे बढ़ाने वालों में कृष्ण प्रताप सिंह और अभिसार शर्मा भी शामिल थे जिन्होंने शुक्ला के ब्लॉग को खूब रीट्वीट किया था।