मुंबई पुलिस और रिपब्लिक टीवी के बीच चल रहे घमासान में अब पुलिस ने चैनल को आर्थिक रूप से अपंग बनाने की कोशिश की है। पुलिस ने चैनल में विज्ञापन देने वाली मीडिया बाइंग एजेंसियों को अपना निशाना बनाया है। इसी क्रम में परम बीर सिंह की अगुवाई में मुंबई पुलिस का पहला टारगेट हंसा विजन है। जो एक मीडिया बाइंग एजेंसी है।
बता दें पुलिस द्वारा हंसा विजन को निशाना बनाने का कारण यह है कि इसकी ग्रुप कंपनी हंसा रिसर्च टीवी चैनलों की दर्शकों की संख्या को मापने वाले ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) के बार-ओ-मीटर्स को मैनेज करती है। मुंबई पुलिस के अनुसार, हंसा रिसर्च और सहयोगी कंपनियाँ किसी भी टीवी चैनल के साथ किसी भी प्रकार की बिज़नेस डीलिंग नहीं कर सकती हैं।
मुंबई के एक पुलिस अधिकारी ने शुक्रवार को दावा किया कि केंद्र सरकार द्वारा जारी सामान्य व्यावसायिक नैतिकता और दिशानिर्देशों के तहत, हंसा रिसर्च या इसकी सहयोगी कंपनियाँ किसी भी टीवी चैनल के साथ व्यापार में संलग्न नहीं हो सकती हैं।
गौरतलब है कि मुंबई पुलिस का यह दावा कई सवाल खड़े करता है, क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि इस तरह की शर्त को केंद्रीय सरकार द्वारा दिशा-निर्देशों में रखा गया है या नहीं।
बता दें हंसा रिसर्च और हंसा विजन पूरी तरह से अलग-अलग इकाइयाँ हैं, जबकि पहली टीवी चैनलों के साथ डीलिंग नहीं कर सकती क्योंकि यह BARC के साथ बार-ओ-मीटर्स का प्रबंधन करने के लिए काम करती है, दूसरी एक मीडिया बाइंग एजेंसी है। जिससे यह पता चलता कि इसका पहला बिज़नेस TYV चैनलों के साथ डीलिंग करना है। वहीं पुलिस के अनुसार अगर ऐसा कोई नियम मौजूद है, तो कंपनी का अस्तित्व बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए।
वहीं दूसरी बात कि अगर हंसा विजन को टीवी चैनलों से डील की अनुमति नहीं है, तो मुंबई पुलिस इस मामले में केवल रिपब्लिक को क्यों निशाना बना रही है। कंपनी ने खुद कहा है कि वे 55 टीवी चैनलों के साथ डील करते हैं।
हंसा ग्रुप के सीईओ शेखर स्वामी द्वारा जारी एक बयान में कहा गया था, “पिछले दो वर्षों में व्यवसाय के हिस्से के रूप में, हंसा विजन ने अपने ग्राहकों की ओर से कुल टीवी चैनलों के लिए 55.42 करोड़ रुपए के टीवी विज्ञापन का समय खरीदा है। वहीं 2019 और 2020 में हंसा विजन द्वारा रिपब्लिक टीवी से कोई विज्ञापन समय नहीं खरीदा गया है।”
इस तरह से देखा जाए तो अगर किए गए यह डील अवैध है तो मुंबई पुलिस को उन सभी 55 चैनलों से पूछताछ करनी चाहिए, लेकिन मुंबई पुलिस सिर्फ रिपब्लिक को ही कटघरे में खड़ा कर रही है।
हंसा विजन द्वारा प्रकाशित वित्तीय विवरणों में कंपनी ने 2017-18 और 2018-19 में रिपब्लिक पर विज्ञापन स्लॉट खरीदे थे। और इसी चीज का टीवी नेटवर्क को पेमेंट किया गया था। कंपनी ने उसके बाद चैनल से कोई स्लॉट नहीं खरीदा है, जबकि अन्य टीवी चैनलों में विज्ञापन स्लॉट खरीदने और उसकी पेमेंट करने की प्रकिया लगातार बनी हुई है।
हंसा विजन ने जारी एक बयान में कहा, “हंसा विजन टेलीविज़न चैनल्स से विज्ञापन समय खरीदती है, ताकि क्लाइंट की तरह से विज्ञापन प्रकाशित किए जा सके।
वहीं हंसा रिसर्च ने भी यही तथ्य रखा था कि उसकी कंपनी हंसा विजन टीवी चैनलों में विज्ञापन स्पॉट खरीदती है, और वह ऐसी कोई डीलिंग नहीं करती है। वास्तव में हंसा रिसर्च और रिपब्लिक नेटवर्क दोनों ने कहा कि हंसा विजन ने रिपब्लिक को विज्ञापन स्पॉट खरीदने के लिए 108 करोड़ रुपए का भुगतान किया था। जबकि मुंबई पुलिस ने सिर्फ 32 करोड़ का दावा किया है। रिपब्लिक ने इस तथ्य के समर्थन में ऑडिट किए गए वित्तीय विवरण भी प्रकाशित किए थे।
अब अगर वास्तव में यह सच है कि हंसा ग्रुप की कंपनी हंसा विज़न टीवी चैनलों के साथ डीलिंग नहीं कर सकती है, तो इसका मतलब होगा कि कंपनी का पूरा कारोबार अवैध है। अब यह देखना बाकी है कि क्या मुंबई पुलिस हंसा विजन के साथ इस अवैध कारोबार के लिए अन्य सभी 54 टीवी चैनलों को जाँच के दायरे में लाती है या नहीं।