दिल्ली पुलिस ने गुरुवार (फरवरी 27, 2020) को हिंदू विरोधी दंगों के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगाप्रभावित इलाकों में ड्रोन की मदद से लिए कुछ विडियो जारी किए। विडियो में स्पष्ट तौर पर देखा गया कि न केवल स्थानीय लोगों ने अपने घरों की छत पर ईंट-पत्थर जमा किए हुए हैं, बल्कि एक मस्जिद की छत पर भी ईंट-पत्थरों का बड़ा ढेर लगा है।
विडियो में मस्जिद की तस्वीरें और उसपर इकट्ठा किए गए ईंट-पत्थर एकदम क्लियर हैं। लेकिन एनडीटीवी की एकतरफा पत्रकारिता की हद देखिए…अपने पाठकों को बरगलाने के लिए और रिपोर्ट के जरिए इस्लामी आतताइयों की हकीकत को छिपाने के लिए उसने ड्रोन से ली तस्वीर का तो इस्तेमाल किया, लेकिन उसमें से मस्जिद को क्रॉप कर दिया। ताकि उनका कोई पाठक इन दंगों में मुस्लिमों की भूमिका पर सवाल न उठा सके।
#WATCH Drone visuals from violence-affected North East Delhi. There has been no fresh incident of violence in the last two days. (Source: Delhi Police) pic.twitter.com/Bq6nQ9lKZp
— ANI (@ANI) February 27, 2020
सोचिए, क्या एनडीटीवी ऐसा उस समय तब करता जब उसे किसी मंदिर की छत पर पत्थर दिखते? तब तो शायद उनकी रिपोर्ट की हेडलाइन भी प्रमुखता से इसी बिंदु पर होती।
एनडीटीवी के ऐसे ओछे कारनामे की सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि एनडीटीवी खुद की एकतरफा पत्रकारिता को जस्टिफाई भी नहीं कर सकता। क्योंकि क्रॉप इमेज के जरिए एनडीटीवी इस बात का दावा भी नहीं कर रहा कि वो आखिर तस्वीर में मौजूद विशेष एंगल से कुछ बताना चाहता है या उससे कुछ पता चल रहा है। वहीं हेडलाइन भी देखें तो एकदम फ्लैट है।
बता दें, तस्वीर के जिस एंगल को एनडीटीवी ने शेयर किया है उसमें सिर्फ़ दो बिल्डिंग, दो सड़क और पुलिस वालों का एक समूह नजर आ रहा है। लेकिन अगर इसी की पूरी तस्वीर (बिन एडिट की हुई) को जूम करके देखा जाए तो पता चलेगा कि मस्जिद की छत पर भारी संख्या में ईंट पत्थर देखकर ही एनडीटीवी ने इसे क्रॉप किया।
गौरतलब है कि विशेष समुदाय के अपराधों को छिपाने का एनडीटीवी का पुराना इतिहास रहा है। सोशल मीडिया आ जाने के कारण और यूजर्स की सक्रियता के कारण अब इसके उसके एजेंडे का खुलासा खुलकर होने लगा है। पिछले दिनों की यदि बात करें, तो हमने देखा था कि किस तरह रवीश कुमार पुलिस के सामने बंदूक तानकर खड़े होने वाले युवक का नाम शाहरूख की जगह अनुराग मिश्रा बताना चाह रहे थे। वहीं उसी चैनल के एक अन्य रिपोर्टर श्रीनिवासन जैन घटनास्थल पर मौजूद होने के बावजूद दंगाइयों को अपने कैमरे में कैप्चर नहीं कर रहे थे, सिर्फ इसलिए क्योंकि पत्थर बरसा रही वह भीड़ अल्पसंख्यक समुदाय की थी।