NDTV की एक खबर आई। सामान्य खबर, जो सारे मीडिया संस्थान प्रतिदिन कर रहे हैं। शुक्रवार (6 अगस्त, 2021) को आई उस खबर में बताया गया था कि भारत में पिछले 1 दिन के मुकाबले कोरोना के 4% ज्यादा मामले आए हैं। नए मामलों की संख्या 44,643 है। सामान्यतः हर खबर के साथ तस्वीर होती है, जो प्रतीकात्मक भी हो सकती है। इस खबर के साथ भी एक व्यक्ति की तस्वीर थी, जो कोरोना टेस्ट करा रहा था।
इस्लामी चरमपंथियों ने इसे मुस्लिमों को बदनाम करने की साजिश करार दिया और पूछा कि आखिर कोरोना की खबर में मुस्लिम व्यक्ति की तस्वीर क्यों लगाई गई? NDTV की ट्वीट पर सैकड़ों रिप्लाइज आए। धमकी पर धमकी मिली। इस हिसाब से देखें तो कोरोना की ख़बरों में अब तक ‘नॉन-मुस्लिमों’ की प्रतीकात्मक तस्वीर दिखाई जा रही थी लेकिन पिछले डेढ़ वर्ष में किसी जाति-मजहब ने हंगामा नहीं किया।
खुद को इस्लामी एक्टिविस्ट कहने वाले शरजील उस्मानी भी धमकी पर उतर आए। उन्होंने सीधा यही सवाल पूछा कि आखिर वो कौन सा अधिकारी है, जिसने NDTV में इस तरह की तस्वीर के प्रयोग करने का निर्णय लिया? साथ ही उसने NDTV के कर्मचारियों से कहा कि वो मैसेज भेज कर गुप्त रूप से बता सकते हैं कि किसने ऐसा किया है। अंततः NDTV को अपनी ट्वीट डिलीट ही करनी पड़ी।
So NDTV deleted the tweet after Islamists like Sharjeel Usmani attacked.
— Ankur (@iAnkurSingh) August 8, 2021
This is how much media fears Muslims, but no fear in using picture of a Pujari when crime done by Maulvi. pic.twitter.com/DkDOjH34He
उससे पहले NDTV की एडिटोरियल डायरेक्टर सोनिया सिंह ने आकर इस तस्वीर के प्रयोग करने के पक्ष में तर्क भी दिए। उन्होंने शरजील उस्मानी की धमकी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें इस तस्वीर में एक ‘भारतीय नागरिक’ कोरोना टेस्ट कराते हुए दिख रहा है। साथ ही सलाह दी कि शरजील उस्मानी NDTV की टीम को अपने एजेंडे के लिए धमकाना बंद करे। लेकिन, मीडिया संस्थान के पास ट्वीट डिलीट करने के अलावा कोई चारा न बचा।
एक बार नाम पता चल जाए, उसके बाद इस्लामी कट्टरवादी या आतंकी क्या करते हैं – ये छिपा नहीं है किसी से। जब फ़्रांस जैसे देश में ‘शार्ली हेब्दो’ नामक पत्रिका के दफ्तर पर हमला कर के कर्मचारियों को मौत के घाट उतारा जा सकता है तो फिर भारत में ये लोग क्या कर सकते हैं, सोच लीजिए। यहाँ NDTV को अपनी ट्वीट डिलीट करनी पड़ी क्योंकि उसे पता है कि उसके कर्मचारियों के साथ क्या किया जा सकता है।
कई मीडिया संस्थान शायद इसीलिए मौलानाओं द्वारा किए गए अपराधों में भी पुजारियों व साधु-संतों की प्रतीकात्मक तस्वीर डाल देते हैं, फकीरों को तांत्रिक बताते हैं, क्योंकि हिन्दू सहिष्णु हैं। अपना अपमान होते हुए देख कर भी हिन्दू सिर्फ विरोध भर ही करते हैं। सहिष्णु हिन्दुओं के विरोध पर ‘कड़ा जवाब’ देकर लिबरल गिरोह के पत्रकार खुद को ‘शेर’ दिखाते हैं। लेकिन, इस्लामी चरमपंथियों के आगे इनके पास ‘भीगी बिल्ली’ बनने के अलावा कोई चारा नहीं रहता।
Don't really have to intimidate Islamophobes. They're already terrified by our mere existence. https://t.co/8lkuBEMWwI
— Sharjeel Usmani (@SharjeelUsmani) August 7, 2021
क्या आप जानते हैं कि धमकी न देने की सलाह पर शरजील उस्मानी ने क्या जवाब दिया सोनिया सिंह को? उसने कहा कि ‘इस्लामोफोबिया’ से ग्रसित लोगों को डराने की कोई ज़रूरत ही नहीं है क्योंकि वो ‘हम लोगों’ के अस्तित्व में होने भर से ही आतंकित हैं। ये रौब है इन इस्लामी कट्टरपंथियों का। सिर्फ एक तस्वीर पर आपत्ति की और भारत के सबसे बड़े व पुराने मीडिया संस्थानों में से एक को पीछे हटना पड़ा।
वो भी एक ऐसा मीडिया संस्थान, जो उनका ‘अपना’ है। जिसकी ख़बरें उनके ही एजेंडे को ध्यान में रख कर तैयार की जाती हैं। कोरोना टेस्ट कराना तो अच्छी बात है, लेकिन इन्होंने आपत्ति जता दी तो फिर कोई उपाय नहीं। सहिष्णु हिन्दुओं को बात-बात पर गाली देने वाले पत्रकारों को भी झुकना पड़ता है एक ‘इस्लामी एक्टिविस्ट’ के सामने। रोज हिंदुत्व को बदनाम कर के भी ये सुरक्षित हैं, लेकिन एक प्रतीकात्मक तस्वीर में किसी ने ‘मुस्लिम’ ढूँढ लिया तो इनकी शामत आ जाती है।
वैसे ‘डर’ ज़रूरी भी है क्योंकि शरजील इमाम एक ‘एक्टिविस्ट’ भर ही तो है, उमर खालिद एक ‘छात्र नेता’ ही तो था और ताहिर हुसैन एक ‘जनप्रतिनिधि’ ही तो था। इन तीनों ने दिल्ली दंगों में दर्जनों हिन्दुओं का खून बहाने के आरोपित हैं। इस दंगे में अधिकतर ‘एक्टिविस्ट्स’ के नाम ही तो आए। शाहीन बाग़ वाले भी ‘एक्टिविस्ट्स’ ही थे। शरजील उस्मानी भी वही है। ये ‘एक्टिविस्ट्स’ क्या कर सकते हैं, समझा जा सकता है।