रिपब्लिक के कंसल्टिंग एडिटर प्रदीप भंडारी से कई घंटों तक पूछताछ करने के बाद मुंबई पुलिस ने उन्हें आज खार पुलिस स्टेशन से रिहा कर दिया। हिरासत से बाहर आने के बाद भंडारी ने रिपब्लिक चैनल के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी से बताया कि पुलिस ने उनकी अग्रिम जमानत को नजरअंदाज कर दिया और उन्हें 8 घंटे तक अवैध रूप से हिरासत में रखा।
अर्नब गोस्वामी द्वारा पुलिस से सवाल करने के लिए कई रिपब्लिक पत्रकारों को भेजे जाने के बाद आखिरकार भंडारी को दिन भर की पूछताछ के बाद पुलिस ने रिहा कर दिया । रिपोर्टर सिर्फ यह पूछने गए थे कि भंडारी को इतने लंबे समय के लिए हिरासत में क्यों रखा गया है। जैसे ही रिपब्लिक के कम से कम पाँच पत्रकारों ने लाइव टीवी पर पुलिस अधिकारियों से पूछताछ की, प्रदीप भंडारी को पुलिस स्टेशन से जाने की अनुमति दे दी गई।
प्रदीप भंडारी ने कहा कि जब उन्होंने पुलिस से पंचनामा माँगा, तो पुलिस ने उन्हें वह देने से इनकार कर दिया। उन्होंने बताया कि वह आगामी विधानसभा चुनावों को कवर करने के लिए पटना गए थे। लेकिन अदालत द्वारा समन मिलने के बाद उन्हें वापस मुंबई आना पड़ा। भंडारी ने कहा कि समन की आड़ में मुंबई पुलिस ने कस्टोडियल पूछताछ का सहारा लिया, जो अदालत के जमानत आदेश का उल्लंघन था।
भंडारी ने यह भी खुलासा किया कि पुलिस ने उनके तीन मोबाइल फोन जब्त कर लिए और जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो पुलिस ने कहा कि उनके फोन को जब्त करने के लिए उनके पास ऊपर से आदेश थे। जब भंडारी ने फोन अनलॉक करने से इनकार कर दिया, तो पुलिस ने फोन को अनलॉक करने के लिए एक तकनीकी विशेषज्ञ को भी बुलाया। उन्होंने कहा कि उन तीनों फोन में से एक उनके दोस्त का है, लेकिन पुलिस ने उस फोन को भी देने से इनकार कर दिया।
पत्रकार प्रदीप भंडारी ने कहा कि वह पूरे दिन पुलिस से घिरे हुए थे। इतना ही नहीं उन्हें बाथरूम जाने या पानी पीने की भी अनुमति नहीं थी। उन्होंने कहा कि उन्हें 10 घंटे तक बिना पंखे के एक कमरे के अंदर रखा गया था और जब उन्होंने सिर्फ 5 मिनट के लिए बाहर आने का अनुरोध किया, तो पुलिस द्वारा उन्हें अनुमति नहीं दी गई।
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि पुलिस ने उन्हें धक्का दिया था और उनकी रिहाई से कुछ मिनट पहले उनका शारीरिक शोषण करने का प्रयास किया गया था, लेकिन कैमरों के साथ रिपब्लिक पत्रकारों के आगमन ने पुलिस को उनके साथ मारपीट करने से रोक दिया।
गौरतलब है कि प्रदीप भंडारी को गैर-जमानती शिकायत के खिलाफ अग्रिम जमानत दिए जाने के एक दिन बाद, उन्हें एक बार फिर मुंबई पुलिस ने 22 अक्टूबर से पहले अदालत में पेश होने के लिए बुलाया था।
हाल ही में भंडारी के खिलाफ़ पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश देने की अवज्ञा), 353 (लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और बॉम्बे पुलिस कानून की धारा 37 (1), 135 के तहत मामला दर्ज हुआ था। इसी के बाद उन्हें पूछताछ के लिए थाने में हाजिर होने को कहा गया था और प्रदीप भंडारी ने केस दर्ज होने के बाद मुंबई पुलिस कमिश्नर को निशाने पर लिया था।
इससे पहले मुंबई पुलिस ने एक बार फिर प्रदीप भंडारी को समन जारी कर किया था। उन्हें 22 अक्टूबर को 4 बजे तक कोर्ट में पेश होने को कहा गया था। प्रदीप भंडारी ने पुलिस कमिश्नर को उनके राजनीतिक आकाओं के इशारे पर काम करने और पुलिस की वर्दी का सम्मान नहीं करने के लिए फटकार लगाई थी और उनका इस्तीफा माँगा था। उन्होंने यह भी कहा था कि मुंबई पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के प्रयास में है, इसके लिए उनके खिलाफ गैर-जमानती धाराओं के तहत आरोप दायर करने की योजना बना रही है। जो आज सच होता दिखाई दिया।