रिपब्लिक मीडिया के संस्थापक अर्नब गोस्वामी को लेकर महाराष्ट्र सरकार का रुख धीरे-धीरे स्पष्ट होने लगा है। ताजा मामला राज्य में कोरोना के हालातों से जुड़ी सीरीज करने को लेकर है। 25 मई को टेलीकास्ट की गई इस सीरीज के बाद राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख बौखलाए हुए हैं और अर्नब से संबंधित पुराने मामलों को खुलवाने के लिए आदेश दे चुके हैं।
गृहमंत्री के इसी फैसले के मद्देनजर रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने अपनी ओर से बयान जारी किया है। इस बयान में उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के घटिया तरीकों और लोगों को डराने वाले बर्ताव को देखकर हैरानी जताई है।
बयान में उन्होंने बताया है कि 25 मई को उन्होंने एक सीरीज की। इस सीरीज में उन्होंने कोरोना के समय में महाराष्ट्र के हालात को दर्शाया। साथ ही महाराष्ट्र सरकार द्वारा ट्रेनों की अनुपलब्धता के ऊपर दिए झूठे बयानों पर तथ्यों के साथ बात रखी। मगर, इस शो के 24 घंटे बाद ही महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने हर प्रोटोकॉल तोड़ते हुए अपने ट्विटर हैंडल से अर्नब गोस्वामी को और रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क को ये कहकर धमकाना शुरू कर दिया कि वो कोर्ट द्वारा बंद किए गए एक साल पुराने केस को दोबारा से खोलेंगे।
बयान में आगे लिखा गया कि राज्य के गृहमंत्री को पता होना चाहिए कि कोर्ट का कानून ही केस को दोबारा से खोल सकता है। लेकिन, अगर फिर भी होम मिनिस्टर ऐसा कुछ करते हैं तो वो कानून का उल्लंघन होगा। बाकी जनता को डराने के लिए उनके इस तरह निर्णय केवल उनकी मंशा और उनके प्रतिशोध को दर्शाता है।
On 25 May, 2020, the day before yesterday, the Republic Media Network did a series of programmes exposing the mess in Maharashtra regarding the Covid situation. We are shocked at the brazen and desperate strongarm tactics of the State Home Minister. Full facts and statement here pic.twitter.com/JSc9UeIF7j
— Republic (@republic) May 27, 2020
रिपब्लिक मीडिया के बयान में पालघर और यस बैंक-डीएचएफएल फ्रॉड केस जैसी घटनाओं में देशमुख की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा गया कि ये स्पष्ट है कि अनिल देशमुख अपनी मंत्री पद की शक्तियों का बेजा इस्तेमाल कर रिपब्लिक मीडिया को रिपोर्टिंग करने से रोकना चाहते हैं, क्यूँकि मीडिया संस्थान का मुख्यालय मुंबई में ही है।
मीडिया संस्थान के बयान अनुसार, जिन केसों को गृहमंत्री प्रतिशोध भावना से खोलने का विचार कर रहे हैं, उनमें से कइयों को कोर्ट के कानून और आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया था, वो भी इसलिए क्योंकि उन्होंने उन आरोपों पर पहले ही तथ्य पेश कर दिए थे।
उल्लेखनीय है कि इस बयान के साथ रिपब्लिक मीडिया ने उन तथ्यों को भी जोड़ा है, जिसके कारण अर्नब के ख़िलाफ़ चल रहे केसों को कोर्ट में बंद करना पड़ा। इसमें अन्वय नाइक की पत्नी अक्षता नाइक द्वारा कोर्ट में कोई सबूत न पेश कर पाने की बात का उल्लेख किया गया है। ARG आउटलायर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 90% अमाउंट की पेमेंट की बात है और उन ईमेल-पत्रों, व्हॉट्सअप संदेशों आदि का जिक्र है, जिनमें सीडीपीएल को पूरा बैलेंस चुकाने और फाइनल सेटेलमेंट के लिए कॉन्टेक्ट किया गया।
अर्नब के ख़िलाफ़ अनिल देशमुख करवा रहे सीबीआई जाँच
मंगलवार को साल 2018 के एक मामले में महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी और दो अन्य के ख़िलाफ़ दोबारा जाँच शुरू करने के आदेश दिए। इस केस को पिछले साल रायगढ़ पुलिस ने बंद कर दिया था। लेकिन, दोबारा केस को खोलने के पीछे अनिल देशमुख ने मृतक की बेटी अदन्या नाइक को वजह बताया।
Adnya Naik had complained to me that #AlibaugPolice had not investigated non-payment of dues from #ArnabGoswami‘s @republic which drove her entrepreneur father & grandmom to suicide in May 2018. I’ve ordered a CID re-investigation of the case.#MaharashtraGovernmentCares
— ANIL DESHMUKH (@AnilDeshmukhNCP) May 26, 2020
उन्होंने मंगलवार को ट्वीट करके हुए लिखा, “अदन्या नाइक ने मुझसे शिकायत की थी कि अलीबाग पुलिस ने अर्नब गोस्वामी के रिपब्लिक टीवी से बकाया राशि का भुगतान नहीं करने की जाँच नहीं की थी, जिसके कारण मई 2018 में उसके उद्यमी पिता और दादी ने आत्महत्या कर ली थी। मैंने मामले की सीआईडी जाँच का आदेश दिया है।”
इसके अलावा, बता दें महाराष्ट्र सरकार ने अर्नब गोस्वामी और उनके संस्थान रिपब्लिक टीवी के ख़िलाफ़ एक और आपराधिक केस में नई जाँच शुरू की है। ये जाँच मीडिया संस्थान पर कोरोना संकट के बीच महाविकास अघाड़ी सरकार के ख़िलाफ़ आलोनात्मक रिपोर्टिंग करने के कारण शुरू हुई है।
इससे जुड़े पेपर भी रिपब्लिक मीडिया को भेजे जा चुके हैं। इन पेपर्स के मुताबिक, ये जाँच बांद्रा में प्रवासी मजदूरों की भीड़ इकट्ठा होने के बाद संस्थान द्वारा इस मुद्दे पर की गई रिपोर्टिंग पर आधारित है।
गौरतलब है कि पालघर मामले में सोनिया गाँधी पर टिप्पणी करने के बाद अर्नब गोस्वामी पर कॉन्ग्रेस लगातार हमलावर है। इसी क्रम में कुछ हफ्तों पहले उनपर अलग-अलग राज्यों में एफआईआर हुई। उनपर हमला हुआ। उनसे 12 घंटे तक पूछताछ हुई और बाद में प्रतिशोध के लिए उस मामले को उजागर किया गया, जिसे कोर्ट सबूतों के अभाव में पहले ही बंद कर चुका था।