द कश्मीर वाला (The Kashmir Walla) के संपादक फहद शाह को रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (Reporters Without Borders) ने ‘प्राइज फॉर करेज’ के लिए नामित किया है। पत्रकारों का ऐसा समूह जिसकी फंडिंग अमेरिकी सरकार करती है, उसने कश्मीरी पत्रकार को तमाम ‘अत्याचारों’ के बावजूद अपनी पत्रकारिता जारी रखने के लिए नामित करने का निर्णय लिया है।
शाह को नामित करते हुए कहा गया है, “खोजी पत्रकारिता वेबसाइट द कश्मीर वाला के संपादक फहद शाह पर दबाव बनाने और धमकाने के मकसद से पुलिस उनकी रिपोर्ट्स को लेकर समन भेजती रहती है। सूत्रों के बारे में जानकारी देने का दबाव भी बनाती है, जिनकी किसी भी स्थिति में जानकारी देने से उन्होंने मना कर दिया। इसके अलावा उनका शारीरिक उत्पीड़न भी किया जाता है।”
साथ ही कहा गया है, “उनके द्वारा चलाए जा रहे वेबसाइट ने प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है। इतना ही नहीं जब से जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिया गया है, तब से यहाँ के लोग बाहरी दुनिया से कटे हैं। ऐसे में फहद ऐसे रचनात्मक तरीकों का उपयोग करते हैं ताकि 80 लाख कश्मीरों नागरिकों को बाहरी दुनिया की घटनाओं और ख़बरों से अवगत कराया जा सके।”
जिस पत्रकार का इतना महिमांडन किया गया है उस पर कई महिलाओं के यौन शोषण का आरोप है। द आउटलुक और द हिन्दू की कंट्रीब्यूटर रमा द्विवेदी ने साल 2018 में आरोप लगाते हुए कहा था कि उनके पूर्व पाटर्नर फहद शाह ने बीते साल एक पार्टी के दौरान उन्हें और उनकी दोस्त का शोषण करने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा था, “उसने पार्टी के दौरान कई बार मुझे गलत तरीके से छुआ। जब मैंने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि हमारे बीच जो भी था वह गुजरे कल की बात है तो शाह ने ढिठाई से कहा- तुम ऐसा नहीं कह सकती कि यह सब तुम्हें पसंद नहीं है।”
ररमा द्विवेदी ने यह भी बताया था कि रोके जाने पर भी शाह नहीं सॅंभला। उसने उनकी दोस्त आकांक्षा नारायण के साथ खुद को वॉशरूम में बंद कर लिया था। अगले दिन शाह यह कहकर चलते बना कि वह नशे में था। मशहूर फोटो जर्नलिस्ट शाहिद तांत्रे के अलावा फहद के तमाम दोस्त जो इस दौरान वहाँ मौजूद थे ने भी उसे रोकने की कोशिश नहीं की। उलटे सभी ने हालात सामान्य करने का प्रयास किया, जैसे वहाँ कुछ हुआ ही नहीं।
रमा द्विवेदी ने बताया था, “अगले दिन वह मेरे घर आया और उसने पूरे घटनाक्रम को नज़रंदाज़ करने का प्रयास करते हुए कहा, चलो जो हो गया भूल जाओ।” इसके बाद फहद ने रमा और उनकी दोस्त से निवेदन किया कि वह इस मामले में किसी भी तरह की शिकायत नहीं दर्ज कराएँ। अगर ऐसा हुआ तो वह सभी के लिए बेहद शर्म की बात होगी।
यानी ऐसी हरकतें करने वाला व्यक्ति बिना किसी परेशानी के आज़ाद घूमने लगा और रमा द्विवेदी का जीवन नरक बन गया। रमा द्विवेदी ने यह भी बताया था कि इसके बाद उन्हें ही भ्रष्ट, चरित्रहीन, राजनीतिक रूप से बिकी हुई दिल्ली की लड़की घोषित कर दिया गया था, जिसने जान-बूझकर फहद शाह को एक ‘लिबरल कश्मीरी पत्रकार’ होने के नाते नीचा दिखाने का प्रयास किया था।
रमा द्विवेदी के आरोपों को तमाम समाचार समूहों ने प्रकाशित किया था, जिसमें टाइम्स ऑफ़ इंडिया, एशिया टाइम्स और स्क्रॉल तक शामिल थे। फिर भी कश्मीरी पत्रकार पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार कुल 3 महिलाओं ने फहद पर यौन शोषण का आरोप लगाया था, लेकिन उसने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था।