महाराष्ट्र में शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी के गठबंधन की सरकार बनने के बाद से ही कॉन्ग्रेस नेता संजय निरुपम अलग ही सुर अलाप रहे हैं। जहाँ एक ओर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मेट्रो परियोजना की समीक्षा की बात कही तो दूसरी ओर उन्हें समर्थन देने वाली कॉन्ग्रेस के नेता संजय निरुपम ने मुंबई मेट्रो का कंस्ट्रक्शन उखाड़ देने की बात कह डाली।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, संजय ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा मुंबई मेट्रो परियोजना की समीक्षा के आदेश पर ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा कि इस मामले में यह एक अस्थायी कदम है जबकि उनका मत है कि इस पूरी परियोजना को ही उखाड़ फेंकना चाहिए।
संजय ने कहा कि यह फैसला मुम्बई के हर एक आदमी का है। विवादित बयानों के कारण चर्चा में रहने वाले कॉन्ग्रेसी नेता ने कहा कि आधी रात को आरे के जंगलों में पेड़ काटे जाने के खिलाफ प्रदर्शन का फैसला राजनीतिक नहीं था, न ही यह किसी राजनीतिक दल द्वारा बुलाया गया था। लेकिन, मुंबई के सब लोगों ने इसके लिए समर्थन दिया था। संजय ने कहा कि सभी मुंबई वालों के साथ उनकी भी यही डिमांड है कि इस निर्माण को पूरी तरह से ध्वस्त कर देना चाहिए। गौरतलब है कि आरे में मेट्रो परियोजना के लिए पेड़ काटने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई हुई है।
I welcome Maha Govt’s decision to stop work of Metro Carshed in #Aarey
— With Sanjay Nirupam (@withSNirupam) December 2, 2019
But only stopping will not help, the proposed car shed should be scrapped.
Protest against #metro carshed was not politically motivated but every Mumbaikar’s demand to #SaveAareyForest
Shri @sanjaynirupam pic.twitter.com/ooUHp1TKVS
29 नवम्बर को उद्धव ठाकरे ने मेट्रो का काम यह कहकर रुकवा दिया था कि इसके लिए एक पत्ता भी नहीं काटने दिया जाएगा। हालाँकि यह बात पहले ही स्पष्ट हो चुकी है कि इस परियोजना के लिए जो पेड़ काटे जाने थे, वह पहले ही काटे जा चुके हैं और अब आगे इन्हें काटा नहीं जाएगा।
पहले नए सीएम ने मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट स्थगित करने का ऐलान किया और फिर उन्ही की समर्थक पार्टी ने एकाएक इसे गिराने की योजना पेश करना शुरू कर दिया। हालाँकि जिस कंस्ट्रक्शन को लेकर विवाद हो रहा है वह पूरा मामले एक मेट्रो शेड को लेकर है। इस मामले में पार्टियों के बदलते बयानों को देख मुंबईवासी खुद भी परेशान हैं। बता दें कि 4 अक्टूबर की मध्यरात्रि को ही उस इलाके में करीब 2185 पेड़ काट दिए गए थे। इस सम्बन्ध में मुंबई मेट्रो कारपोरेशन को ट्री अथॉरिटी ने एक पत्र भी जारी किया था जिसमें उसने इन पेड़ों को काटने के लिए अपनी मंजूरी दी थी।
इस आदेश को अमल में लाने के लिए पुलिस की मदद लेनी पड़ी थी जिसके तहत इलाके में धारा 144 लगा दी गई थी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में स्टे लगने से पहले 2185 में 2141 पेड़ काटे जा चुके हैं जबकि मेट्रो कारपोरेशन का कहना है कि प्रोजेक्ट के लिए ज़रूरत के हिसाब से पेड़ काटे जा चुके हैं।