Monday, November 18, 2024
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J&K में सुधरी स्थिति, नरेंद्र मोदी सरकार ने वापस बुलाए अर्धसैनिक बलों की 72 कंपनियाँ

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुरक्षा को लेकर समीक्षा के बाद कश्मीर से 7,000 से अधिक अर्द्धसैन्य जवानों की तुरंत वापसी का आदेश दिया है। जिस उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया, उसमें अजित डोभाल ने...

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुरक्षा को लेकर समीक्षा के बाद कश्मीर से 7,000 से अधिक अर्द्धसैन्य जवानों की तुरंत वापसी का आदेश दिया है। अधिकारियों ने मंगलवार (दिसंबर 24, 2019) को इस बारे में जानकारी दी। जम्मू कश्मीर में भारी संख्या में तैनात सुरक्षाबलों में से अर्धसैनिक बलों की 72 कंपनियों को सरकार ने वापस बुलाने का फैसला लिया है। इनमें सीआरपीएफ की 24, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ और एसएसबी की 12-12 कंपनियाँ शामिल हैं। हर एक कंपनी में 100 कर्मी मौजूद रहते हैं। बताया जा रहा है कि घाटी में सुधरते हालात को देखते हुए 72 कंपनियों को हटाए जाने का फैसला लिया गया है।

बता दें कि इससे पहले केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के विकास मामलों और सुरक्षा स्थिति पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। इस बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने की और इसमें केन्द्रीय गृह सचिव अजय के भल्ला, जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल जी सी मुर्मू और केंद्र शासित क्षेत्र के लिए गृह मंत्रालय में वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार के विजय कुमार समेत अन्य अधिकारियों ने भाग लिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी इस बैठक में कुछ समय के लिए मौजूद थे। उन्होंने बताया कि विजय कुमार केंद्र शासित क्षेत्र के हालात का जायजा लेने के लिए यात्रा करेंगे।

उल्लेखनीय है कि जुलाई के आखिरी सप्ताह में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की थी। तब विपक्षी दलों ने सवाल उठाया था कि घाटी में भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती क्यों की जा रही है।इसके बाद पाँच अगस्त को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का फैसला लिया।

सुरक्षाबलों की तैनाती जम्मू कश्मीर को मिला विशेष दर्जा वापस लिए जाने और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभाजित किये जाने के मद्देनजर की गई थी। कश्मीर घाटी में कई पाबंदियाँ भी लागू की गई, जिन्हें बाद में धीरे-धीरे ज्यादातर इलाकों से हटा लिया गया। इस महीने की शुरुआत में घाटी से ऐसी करीब 20 कंपनियों को वापस भेज दिया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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