जिहादियों की कमर पर 370 हटा कर सीधी चोट करने के बाद अब गृह मंत्री अमित शाह की नज़र नक्सलियों पर जा टिकी है। लोक सभा में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी द्वारा नक्सलियों के बच्चों की भर्ती स्वीकारने के बाद शाह ने अपने कार्यकाल की पहली अंतरराज्यीय नक्सल-रोधी काउन्सिल की बैठक की अध्यक्षता की है। इसमें नक्सल-प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और शीर्ष नागरिक और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया था।
अखरी नामौजूदगी
370 पर अपने असहयोगात्मक रुख के विपरीत कॉन्ग्रेस-शासित मध्य-प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों (क्रमशः कमलनाथ और भूपेश बघेल) की मौजूदगी ने जहाँ इस मुद्दे पर पार्टी की गंभीरता और इसपर राजनीति न करने की लाइन पर बल दिया, वहीं नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार से लगभग हर मुद्दे पर टकराव का रुख अख्तियार कर रहीं ममता बनर्जी इस गंभीर समस्या पर भी केंद्र के साथ खड़ीं नज़र नहीं आईं। उन्होंने इस बैठक में अपनी जगह राज्य के डीजीपी और मुख्य सचिव को भेजा। इसके अतिरिक्त तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी अपने निजी दौरे का हवाला देकर दूर रहे।
मीडिया में इसके अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के गायब रहने को लेकर भी चर्चाएँ हो रहीं हैं, जिनके राज्य का गढ़चिरौली आज भी नक्सली हिंसा के गढ़ों में से एक माना जाता है। बताया जा रहा है कि फडणवीस आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए ‘महाजनादेश यात्रा’ में व्यस्त होने के चलते बैठक में शामिल होने में असमर्थ रहे। उनका भी प्रतिनिधित्व उनके राज्य के डीजीपी ने ही किया।
मौतें 60% घटीं, लेकिन 10 जिले अब भी दो-तिहाई हिंसा कर रहे
गृह मंत्रालय के आँकड़ों के मुताबिक 2009-13 के मुकाबले 2014-18 में नक्सली हिंसा में हुई मौतों का आँकड़ा 60.4% गिरकर 3,326 से 1,321 पर आ चुका है। गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी के लोकसभा में दिए गए जवाब के मुताबिक सरकार के सतत प्रयास से नक्सली हिंसा का दायरा अब सिकुड़ने लगा है और यह केवल 60 जिलों में ही बचा है। लेकिन उन्होंने एक चिंताजनक बात यह भी बताई कि 60 में से 10 जिलों में दो-तिहाई हिंसा होती है।
गृह मंत्री ने सोमवार (26 अगस्त) को हुई इस बैठक में चल रहे नक्सली अभियानों का जायज़ा लेने के साथ-साथ नक्सल-प्रभावित इलाकों में विकास योजनाओं की प्रगति की भी समीक्षा की। उनके साथ बैठक में यूपी, ओडिशा, बिहार, एमपी, छत्तीसगढ़, झारखण्ड के मुख्यमंत्री शामिल हुए। 2015 में स्वीकृत किए गए National Policy and Action Plan में वामपंथी आतंक से लड़ने के लिए एक साथ सामाजिक-आर्थिक-कानूनी आदि कई मोर्चों पर काम करने की रणनीति तैयार हुई थी।