आर्मी इंटेलीजेंस ने सेना के सभी जवानों और अफसरों को एडवाइजरी जारी करके आगाह किया है कि वे इंस्टाग्राम पर सक्रिय प्रोफाइल ‘ओए सौम्या’ से सावधान रहें। दरअसल, सेना के साइबर एक्सपर्ट का मानना है कि यह एक फर्जी प्रोफाइल है जिसे जासूसी के लिए तैयार किया गया है।
आर्मी इंटेलीजेंस की ओर से जारी एडवाइजरी में बताया गया है कि यह प्रोफाइल भारत के सैन्य संस्थानों को निशाना बनाने के लिए तैयार किया गया है। इंटेलिजेंस को संदेह है कि ‘ओए सौम्या’ नाम का अकॉउंट दुश्मनों के जासूस का है जो सेना अधिकारियों एवं स्पेशल फोर्स के जवानों को निशाना बनाने की कोशिश में हैं लेकिन, फिलहाल ये अकाउंट सेवा में नहीं है।
Army Intelligence issues advisory to its personnel against an Instagram profile ‘Oyesomya’ of a suspected enemy spy which is trying to target Army officers and special forces’ troops. pic.twitter.com/UQCktmFNGB
— ANI (@ANI) June 24, 2019
गौरतलब है पिछले दिनों फर्जी अकॉउंट के ऐसे बहुत से मामले सामने आए हैं, जिनमें सेना की जानकारियाँ लीक कर दी गईं। दुश्मन पक्ष के जासूस अक्सर ऐसी आकर्षक प्रोफाइल बनाकर सोशल मीडिया पर सैन्य कर्मियों से दोस्ती करके उनसे संपर्क साध लेते हैं और कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ हासिल कर लेते हैं। इसीलिए, सैन्य कर्मियों को सोशल मीडिया से दूर रहने की सलाह दी जाती है लेकिन बावजूद मनाही के कई अफसर फर्जी प्रोफाइल से सोशल मीडिया पर सक्रिय पाए गए हैं।
बता दें अभी बीती 16 मई को ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जिसमें महू में तैनात बिहार के रहने वाले एक आर्मी क्लर्क पर पाकिस्तान को भारतीय सेना की ख़ुफ़िया जानकारी लीक करने के मामले में हिरासत में लिया गया था। खबरों के मुताबिक इस मामले में पाकिस्तान के एक फर्जी अकॉउंट के जरिए आर्मी क्लर्क को हनी ट्रैप में फंसाया गया था और बाद में उन्हें इंडियन आर्मी की लोकेशन, मूवमेंट और एक्सरसाइज से जुड़ी जानकारी हासिल करने का काम दे दिया था।
सोशल मीडिया पर सक्रिय साइबर जासूसों को लेकर सेना सतर्क हो गई है।#IndianArmyhttps://t.co/AEgk0rQWKS
— Hindustan (@Live_Hindustan) June 25, 2019
टास्क मिलने के बाद वह (आर्मी क्लर्क) अपने सूत्रों से जानकारी हासिल करते और वॉट्सऐप के जरिए सारी जानकारी पाकिस्तान को भेज देते। जवान की इन हरकतों से इंटेलिजेंस को उनपर शक हुआ और उन्हें फिजीकल और इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस में रख दिया गया, उनकी हरकतों को लगातार ट्रैक किया गया। एक महीने बाद जब उनके ख़िलाफ़ सबूत मिले तो मध्यप्रदेश पुलिस की एटीएस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।