Monday, November 18, 2024
Homeरिपोर्टराष्ट्रीय सुरक्षागलवान घाटी में सिर्फ कृपाण से 12 चीनी सैनिकों को मारकर बलिदान हुए 23...

गलवान घाटी में सिर्फ कृपाण से 12 चीनी सैनिकों को मारकर बलिदान हुए 23 साल के गुरतेज सिंह की कहानी

सिपाही गुरतेज पर पीपुल्‍स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के चार सैनिकों ने हमला बोला। गुरतेज जरा भी डरे नहीं बल्कि रेजीमेंट का युद्धघोष 'बोले सो निहाल, सत श्री अकाल,' चिल्‍लाते हुए उनकी तरफ बढ़े। गुरतेज ने दो को वहीं ढेर कर दिया जबकि दो ने उन्‍हें जान से मारने की कोशिश की। गुरतेज उनको पहाड़ी पर खींच कर ले गए और यहाँ से उन्‍हें नीचे गिरा दिया। इसके बाद.......

15 जून को पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीनी सेना के साथ टकराव हिंसक हो गया था। भारतीय सेना के बहादुरों ने चीनी सेना को मुँहतोड़ जवाब दिया। 16 बिहार रेजीमेंट के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए जिनमें कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) कर्नल संतोष बाबू भी शामिल थे। इन 20 बहादुरों में एक नाम 23 साल के सिपाही गुरतेज सिंह का भी है। गुरतेज सिंह ने बलिदान होने से पहले 12 चीनी सैनिकों को अपने कृपाण से ही ढेर कर दिया

तीन भाइयों में सबसे छोटे गुरतेज सिंह करीब 2 साल पहले ही फौज में भर्ती हुए थे। फौज में ट्रेनिंग के बाद सिख रेजिमेंट में पहली बार लेह-लद्दाख में ड्यूटी लगी थी।

15 जून की हिंसक झड़प में 16 बिहार, 3 पंजाब रेजीमेंट, दो आर्टिलरी यूनिट और तीन मीडियम रेजीमेंट के अलावा 81 फील्‍ड रेजीमेंट चीन को जवाब देने में शामिल थी। गुरतेज 3 पंजाब घातक प्‍लाटून के सिपाही थे। चीनी सैनिक को मुँहतोड़ जवाब देते-देते वो बलिदान हो गए। कुछ दिनों पहले ही उनके बड़े भाई की शादी हुई थी। मगर गुरतेज बॉर्डर पर टेंशन और कोरोना वायरस महामारी के चलते शादी में शामिल नहीं हो सके थे। उन्होंने वादा किया था कि वो जल्द ही भाभी से मिलेंगे और पार्टी देंगे।

बता दें कि 3 पंजाब घातक प्‍लाटून को रिइनफोर्समेंट के लिए बुलाया गया था। सैनिकों के पास उनके धर्म से जुड़ी कृपाण और डंडे, छड़ें और तेज चाकू ही थी। सिपाही गुरतेज पर पीपुल्‍स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के चार सैनिकों ने हमला बोला। गुरतेज जरा भी डरे नहीं बल्कि रेजीमेंट का युद्धघोष ‘बोले सो निहाल, सत श्री अकाल,’ चिल्‍लाते हुए उनकी तरफ बढ़े।

गुरतेज ने दो को वहीं ढेर कर दिया जबकि दो ने उन्‍हें जान से मारने की कोशिश की। गुरतेज उनको पहाड़ी पर खींच कर ले गए और यहाँ से उन्‍हें नीचे गिरा दिया। गुरतेज भी अपना नियंत्रण खो दिया था और फिसल गए थे। लेकिन वह एक बड़े पत्‍थर की वजह से अटक गए और उनकी जान बच गई।

हालाँकि, इस दौरान जवान गुरतेज की गर्दन और सिर पर गहरी चोटें आ गई थीं। उन्‍होंने अपनी पगड़ी को दोबारा बाँधा और फिर से लड़ाई के लिए आगे बढ़ चले। उन्‍होंने चीनी जवानों का मुकाबला अपनी कृपाण से किया और एक चीनी सैनिक से उसका तेज हथियार भी छीन लिया।

इसके बाद गुरतेज ने सात और चीनी जवानों को ढेर किया। अब तक गुरतेज 11 चीनी जवानों को ढेर कर चुके थे। बलिदान होने से पहले गुरतेज ने अपनी कृपाण से 12वें चीनी सैनिक को भी ढेर किया। गुरतेज अकेले लड़े लेकिन कहते हैं न कि एक-एक अकाली सिख सवा लाख के बराबर होते हैं, गुरतेज ने इसी बात को सही साबित कर दिया।

गुरतेज ने दिसंबर 2018 में आर्मी ज्‍वॉइन किया था। वह हमेशा से आर्मी में जाना चाहते थे और उनका वह सपना तब पूरा हुआ जब वह सिख रेजीमेंट का हिस्‍सा बने।

गुरतेज सिंह के पिता विरसा सिंह और माता प्रकाश कौर ने बताया कि गुरतेज फौज में बचपन से ही भर्ती होना चाहते थे। भर्ती के बाद उसने देश के लिए सेवा करने का संकल्प लिया। उनकी गुरतेज के वीरगति को प्राप्त होने के 20 दिन पहले बात हुई थी। उन्होंने बताया कि गुरतेज सिंह के बलिदान होने की खबर उन्हें बुधवार को सुबह 5 बजे फोन पर मिली। उनका कहना है कि गुरतेज उनका ही नहीं देश का बेटा था, जिस पर उन्हें हमेशा गर्व रहेगा। 

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

मणिपुर में बिहार के लोगों से हफ्ता वसूली, हिंसा के लिए महिला ब्रिगेड: रिपोर्ट से कुकी संगठनों की साजिश उजागर, दंगाइयों को छुड़ाकर भी...

मणिपुर में हिंसा फैलाने के लम्बी चौड़ी साजिश रची गई थी। इसके लिए कुकी आतंकी संगठनों ने महिला ब्रिगेड तैयार की।

404 एकड़ जमीन, बसे हैं 600 हिंदू-ईसाई परिवार: उजाड़ना चाहता है वक्फ बोर्ड, जानिए क्या है केरल का मुनम्बम भूमि विवाद जिसे केंद्रीय मंत्री...

एर्नाकुलम जिले के मुनम्बम के तटीय क्षेत्र में वक्फ भूमि विवाद करीब 404 एकड़ जमीन का है। इस जमीन पर मुख्य रूप से लैटिन कैथोलिक समुदाय के ईसाई और पिछड़े वर्गों के हिंदू परिवार बसे हुए हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -