शनिवार (मई 11, 2019) को अमेरिका के एरिजोना में स्थित प्रोडक्शन फैसिलिटी सेंटर में भारतीय वायुसेना ने पहला अपाचे हेलिकॉप्टर प्राप्त किया। इस दौरान एयर मार्शल एएस बुटोला ने भारतीय वायुसेना का प्रतिनिधित्व करते हुए पहला अपाचे स्वीकार किया। अपाचे हेलीकॉप्टर के भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद पाकिस्तान समेत अन्य सीमावर्ती इलाकों में निगरानी मजबूत हो जाएगी। साथ ही आपात स्थिति में यह हेलीकॉप्टर सेना की त्वरित मदद भी कर पाएँगे।
#ApacheInduction: First AH-64E (I) Apache Guardian helicopter was formally handed over to the IAF at Boeing production facility in Mesa, Arizona, USA on 10 May 19. Air Mshl AS Butola, represented the IAF & accepted the first Apache in a ceremony at Boeing production facility. pic.twitter.com/FzA0IfRine
— Indian Air Force (@IAF_MCC) May 11, 2019
बता दें कि 15 चिनूक और 22 अपाचे हेलिकॉप्टर के लिए भारत और अमेरिकी सरकार के बीच 3 बिलियन डॉलर का समझौता हुआ था। डील के तहत अमेरिका को इन सभी हेलीकॉप्टर्स की डिलीवरी तीन से चार साल के भीतर करनी थी। अब भारतीय वायुसेना को पहला अपाचे हेलीकॉप्टर मिल गया है। चिनूक हेलीकॉप्टर की डिलीवरी पहले ही शुरू हो चुकी है।
अपाचे हेलीकॉप्टर की अधिकतम रफ्तार 280 किलोमीटर प्रति घंटा है। इसे रडार से पकड़ना काफी मुश्किल है। साथ ही सबसे बड़ी बात ये है कि इसके पास 16 एंटी टैंक मिसाइल को छोड़ने की क्षमता है, जिसे सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। अपाचे हेलीकॉप्टर के नीचे लगी राइफल में एक बार में 30 एमएम की 1,200 गोलियाँ भरी जा सकती हैं। AH-64 E अपाचे एक प्रमुख लड़ाकू हेलीकॉप्टर है जिसे किसी भी मौसम में उड़ाया जा सकता है। इसकी फ्लाइंग रेंज 550 किलोमीटर है और ये एक बार में पौने तीन घंटे तक उड़ान भर सकता है। अपाचे से दुश्मनों पर किसी भी परिस्थिति में हमला किया जा सकता है। इसमें हेलिफायर और स्ट्रिंगर मिसाइल के साथ ही दोनों तरफ 30mm की दो गनें भी लगी हुई हैं।
रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि अपाचे युद्ध के समय ‘गेम चेंजर’ की भूमिका निभा सकता है। उन्होंने बताया कि अमेरिका ने ब्लैक हॉक और अपाचे हेलिकॉप्टर के अंदर कुछ बदलाव करके वर्ष 2011 में उनका इस्तेमाल पाकिस्तान के अंदर घुसकर अल क़ायदा चीफ ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए किया था।