Monday, November 18, 2024
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क्या हैं क्लस्टर बम जिसका नाम लेकर पाकिस्तान पागल हो रहा है?

क्लस्टर बमों को बैन करने के समझौते पर अब तक 119 देशों ने दस्तखत किए हैं। लेकिन अमेरिका, चीन, रूस, ब्राजील, वेनेजुएला, अर्जेन्टीना, इस्राएल, ग्रीस, मिस्र और ईरान जैसे देश इस समझौते से बाहर हैं।

LOC पर भारतीय सेना द्वारा क्लस्टर बम के इस्तेमाल करने के पाकिस्तान द्वारा लगाए जा रहे आरोपों का भारतीय सेना ने खंडन किया है। पाकिस्तानी सेना ने आरोप लगाया है कि भारतीय सेना द्वारा POK में क्लस्टर बम का इस्तेमाल किया गया और इसमें कुछ लोगों के कथित तौर पर घायल होने की भी बात की है।

पाकिस्तान लगातार नियंत्रण रेखा पर बिना उकसावे के फायरिंग कर रहा है, और जब भारतीय सेना उसका मुँहतोड़ जवाब दे रही है तो वह यह झूठ फैला रहा है कि भारतीय सुरक्षा बल क्लस्टर बमों का इस्तेमाल कर रहे हैं। 

पाकिस्तानी सेना ने यह आरोप अमरनाथ यात्रा रूट पर मिले पाकिस्तानी आयुध कारखाने की मुहर लगी अमेरिकन स्नाइपर राइफल एम-24 बरामद होने के एक दिन बाद लगाया है। भारतीय सेना ने बताया कि श्रद्धालुओं को निशाना बनाने के लिए आईईडी ब्लास्ट करने की साजिश रची गई थी। सेना को इसमें पाकिस्तानी सेना की संलिप्तता के भी सबूत मिले हैं। इसे देखते हुए राज्य सरकार के गृह विभाग ने पर्यटकों और श्रद्धालुओं को जल्द से जल्द कश्मीर घाटी छोड़ने की सलाह जारी की है।

पकिस्तान के मेजर जनरल आसिफ गफूर ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि भारतीय सेना ने क्लस्टर बम का इस्तेमाल कर के अंतरराष्ट्रीय संधि का उलंघन किया है। अपने ट्वीट में आसिफ गफूर ने लिखा है कि कश्मीर हर पाकिस्तानी के खून में चलता है और कश्मीरियों का स्वदेशी स्वतंत्रता संग्राम सफल होगा।

वहीं भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के आरोप का खंडन करते हुए कहा है कि इस प्रकार की प्रतिक्रियाएँ सिर्फ सैन्य ठिकानों और पाकिस्तानी सेना की मदद से आने वाले घुसपैठिए आतंकवादियों के खिलाफ इस्तेमाल की जाती हैं और पाकिस्तान द्वारा भारतीय सेना पर लगाए जा रहे क्लस्टर बम के इस्तेमाल करने के आरोप बेबुनियाद हैं।

वहीं, भारतीय सेना ने बताया कि पाकिस्तान से लगातार हथियार और गोला-बारूद से लैस आतंकवादी अवैध रूप से सीमा क्रॉस करते हैं और हमारी सेना के पास प्रतिक्रिया करने का अधिकार है।

सेना ने शनिवार को कहा, “हम सिर्फ पाकिस्तानी फायरिंग का जवाब दे रहे हैं। हम सिर्फ सैन्य ठिकानों और पाकिस्तानी सेना की मदद से घुसपैठ की कोशिश कर रहे आतंकवादियों को निशाना बना रहे हैं। भारत द्वारा क्लस्टर बमों की फायरिंग के आरोप पाकिस्तान के धोखे, छल और झूठ का एक और उदाहरण है।”

क्या होते हैं क्लस्टर बम

क्लस्टर बम बेहद खतरनाक और विनाशक माने जाते हैं। क्लस्टर बमों का इस्तेमाल सबसे पहले 1943 में सोवियत और जर्मन फौजों ने किया था। तब से अब तक 200 तरह के क्लस्टर बम बनाए जा चुके हैं।

एक क्लस्टर बम असल में सैकड़ों छोटे-छोटे बमों का संग्रह होता है, इन्हें जब हवा में लड़ाकू विमानों से फेंका जाता है तो ये बीच रास्ते में फट कर सैकड़ों बमों में बदल जाते हैं और बहुत बड़े इलाके तबाह करते हैं। अपने अंदर मौजूद बमों को गिराने से पहले क्लस्टर बम मीलों तक उड़ सकता है।

जब वो जमीन से 1000 मीटर से 100 मीटर के बीच किसी ऊँचाई पर होता है तो क्लस्टर बम का आवरण घूमता है और उसमें मौजूद बम एक बड़े इलाके में गिरने शुरू हो जाते हैं। इनमें हर बम में धातु की सैड़कों धातु टुकड़े होते हैं। जब वो फटते हैं तो 25 मीटर दूर तक लोगों को नुकसान पहुँचा सकता है।

क्लस्टर बम यानी, गुच्छ युद्धसामग्री (Cluster munition) ने सबसे ज्यादा तबाही वियतनाम और लाओस में मचाई है। उसके बाद इराक और कंबोडिया का नंबर है। अब तक 24 देशों के लोग इनसे प्रभावित हुए हैं। 30 मई 2008 को 100 से ज्यादा देशों के बीच एक समझौता हुआ जिसके तहत क्लस्टर बमों का निर्माण, संग्रहण और इस्तेमाल तक बैन कर दिया गया।

क्लस्टर बमों को बैन करने के समझौते पर अब तक 119 देशों ने दस्तखत किए हैं। लेकिन अमेरिका, चीन, रूस, ब्राजील, वेनेजुएला, अर्जेन्टीना, इस्राएल, ग्रीस, मिस्र और ईरान जैसे देश इस समझौते से बाहर हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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