जम्मू-कश्मीर में देशविरोधी गतिविधियों को लेकर कार्रवाई करते हुए 11 सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है। इसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो कॉन्स्टेबल भी शामिल हैं, जिन पर आरोप है कि पुलिस विभाग के भीतर से आतंकवाद का समर्थन किया और आतंकवादियों को अंदरूनी जानकारी और मदद भी प्रदान की है। बताया जा रहा है कि एक कॉन्स्टेबल अब्दुल राशिद शिगन ने तो खुद सुरक्षा बलों पर हमले किए थे।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस कॉन्स्टेबल अब्दुल रशीद शिगन ने वर्ष 2011 से लेकर अगस्त 2012 में श्रीनगर में 13 बड़े हमलों को अंजाम दिया। इसने पुलिस के एक रिटायर्ड डीएसपी समेत पाँच पुलिसकर्मियों की हत्या करने के अलावा तत्कालीन कानून मंत्री अली मोहम्मद सागर पर भी हमला किया था।
वह सिर्फ उन्हीं पुलिसकर्मियों व अधिकारियों को निशाना बनाता था, जो आतंकरोधी अभियान में आगे होते थे। इसके अलावा वह इस्लाम की कट्टरपंथी विचारधारा के साथ सहमत न होने वाले इस्लामिक विद्वानों और मुख्यधारा की राजनीति से जुड़े लोगों को निशाना बनाता था।
शिगन कोड नाम उमर मुख्तार के नाम से हिंसा करता था और मीडिया में बताता था कि इसे कश्मीर इस्लामिक मूवमेंट ने अंजाम दिया है। वह हिजबुल मुजाहिदीन के इशारे पर वारदातें करता था। इसको ऑपरेशन विशेष के लिए आतंकी संगठन में मुखबिर बनाने का जिम्मा सौंपा गया था। शिगन बच जाता, अगर वह इनके पकड़े जाने पर कुछ समय तक शांत रहता। लेकिन अंततः पुलिस को उसकी खबर हो गई और वह पकड़ा गया। वह पीएसए के तहत बंदी भी रहा, लेकिन अदालत के हस्तक्षेप पर वह दोबारा पुलिस का हिस्सा बन गया।
जब उसे पाकिस्तान से वारदात का आदेश मिलता, वह ड्यूटी से गायब हो जाता और फिर लौट आता। किसी को पता नहीं चलता था कि वह कब गया और कब आया। शिगन ने 24 दिसंबर 2011 को नेशनल कॉन्ग्रेस नेता बशीर अहमद की, 17 मार्च 2012 को सूफी विद्वान पीर जलालुदीन की, 20 अप्रैल 2012 को पुलिस कॉन्स्टेबल सुखपाल सिंह की हत्या की थी। इसके अलावा उसने 30 मई 2012 को सीआरपीएफ जवानों पर हमला किया और 22 अगस्त 2012 को उसने बटमालू में एक मस्जिद की सीढ़ियों पर पुलिस के एक सेवानिवृत्त डीएसपी अब्दुल हमीद बट की हत्या कर दी थी।
गौरतलब है कि हिजबुल मुजाहिद्दीन के संस्थापक सैयद सलाहुद्दीन के बेटों को भी नौकरी से बर्खास्त किया गया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सलाहुद्दीन के बेटे सैयद अहमद शकील और शाहिद यूसुफ को आतंकी गतिविधियों के फंड मुहैया कराने का दोषी पाया गया है।