जम्मू-कश्मीर में शांति व्यवस्था में खलल डालने और कट्टरता फैलाने में अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का अहम रोल रहा है। इसके कई नेताओं पर आतंकियों को धन मुहैया कराने का आरोप है। इसको देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही कश्मीरी अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सभी गुटों को गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित कर सकती है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने कहा कि मोदी सरकार हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सभी गुटों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला ले सकती है। इनमें मृत सैयद अली शाह गिलानी का गुट भी शामिल है। हुर्रियत के इन गुटों को सरकार UAPA की धारा 3(1) के तहत बैन करने की योजना पर काम कर रही है।
हाल ही में NIA के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर सरकार ने गृह मंत्रालय को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस द्वारा राज्य में टेरर फंडिंग की जानकारी दी गई थी। इसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री ने एनआईए और राज्य सरकार से इस मामले में और अधिक जानकारी साझा करने को कहा था। सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय द्वारा माँगी गई जानकारी उसे सौंप दी गई है।
एक अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कई नेता बीते कुछ सालों में जेल में बंद हैं और जाँच एजेंसियाँ टेरर फंडिंग नेटवर्क को भेदने में कामयाब रही हैं। संगठन के सभी गुटों पर बैन से आतंकवाद से और अधिक प्रभावी तरीके से निपटा जा सकेगा। उन्होंने कहा कि बैन से एजेंसियों को हुर्रियत सम्मेलन द्वारा किए जाने वाले सामुदायिक स्तर के फंड संग्रह पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। अलगाववादी संगठन बाद में उसी पैसे को पाकिस्तान की आईएसआई के निर्देश पर कश्मीर में आतंकियों को देती है।
अधिकारी ने आगे बताया कि यूएपीए के तहत बैन लगाने से टेरर फंडिंग के साथ ही हुर्रियत द्वारा जिन रास्तों से फंडिंग की जाती है, उसे भी रोका जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि हुर्रियत पाकिस्तान के कॉलेजों में अपने कोटे से मेडिकल सीटों की बिक्री करता है और उससे मिलने वाले पैसे को कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल करता है।
बैन लगाने के बाद हुर्रियत को अपने सभी कार्यालयों और बुनियादी ढाँचे को तोड़ना होगा। इसके अलावा उसके द्वारा बुलाए जाने वाले बंद और विरोध को अवैध हो जाएँगे। सरकार हुर्रियत के खिलाफ बैन करने का फैसला करने के बाद आधिकारिक राजपत्र में इसकी घोषणा करेगी। इसके बाद, इस फैसलों को यूएपीए के तहत गठित समिति द्वारा मंजूरी देनी होगी।