कनाडा का एक और खालिस्तानी भारत सरकार की तरफ से आतंकवादी करार दिया गया है। सरकार ने बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के सदस्य और गैंगस्टर लखबीर सिंह लांडा को गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत उसे आतंकी घोषित किया है। लांडा पर भारत में हत्या, हत्या के प्रयास सहित दर्जनों मामले दर्ज हैं।
गृह मंत्रालय ने शुक्रवार (29 दिसंबर 2023) को एक अधिसूचना जारी कर इस फैसले के बारे में जानकारी दी है। इसके मुताबिक, 33 साल का लांडा कनाडा में रह रहा है और वह पाकिस्तान से भारत में तस्करी किए जाने वाले हथियारों और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) की निगरानी करने वाला मुख्य कर्ताधर्ता है।
उसके खिलाफ पहले से ही एनआईए ने कई मामले दर्ज किए हैं। वह मोहाली में पंजाब पुलिस के खुफिया मुख्यालय पर 9 मई 2022 को हुए रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी) हमले का मास्टरमाइंड है। इस केस में लांडा के खिलाफ पंजाब पुलिस और राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने केस दर्ज किया है।
गृह मंत्रालय के मुताबिक, लांडा के कनाडा के खालिस्तान समर्थक तत्वों (PKEs) के साथ भी नजदीकी रिश्ते हैं। इसके सदस्यों में खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) का मारा गया आतंकी हरदीप सिंह निज्जर शामिल है। इसके अलावा, सिख फॉर जस्टिस के आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू और कई खालिस्तानियों से भी इसके रिश्ते हैं।
कौन है लांडा
लांडा पंजाब के तरनतारन जिले के हरिके का मूल निवासी है। खुफिया एजेंसी के मुताबिक, फिलहाल वो कनाडा के अल्बर्टा में छिपा है। NIA ने लांडा के खिलाफ साल 2021 रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। गृह मंत्रालय के मुताबिक, लांडा पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सीमा पार से कई आतंकी मॉड्यूलों को IED, हथियार, विस्फोटकों आदि की आपूर्ति करता है।
साल 2017 में कनाडा फरार हुए लखबीर सिंह लांडा के सिर एनआईए ने ईनाम का ऐलान भी कर रखा है। एनआईए ने इस साल सितंबर महीने में बब्बर खालसा इंटरनेशनल के आतंकी लखबीर सिंह लांडा और पाकिस्तान में छिपकर बैठे हरविंदर सिंह रिंदा समेत पाँच आतंकवादियों के बारे में जानकारी देने वालों को नकद पुरस्कार देने का ऐलान किया था।
एजेंसी ने लांडा और रिंदा के बारे में जानकारी देने के लिए 10 लाख रुपए के ईनाम का ऐलान किया था। इसके अलावा, परमिंदर सिंह कैरा उर्फ पट्टू, सतनाम सिंह उर्फ सतबीर सिंह और यादविंदर सिंह के सिर पर 5-5 लाख रुपए का इनाम रखा गया है। ये सब लांडा के सहयोगी हैं। बताते चलें कि लांडा से पहले गुरपतवंत सिंह पन्नू को भारत सरकार ने साल 2020 में ‘आतंकवादी’ घोषित किया था।