Monday, November 18, 2024
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अलकायदा आतंकी अब्बास, करीम और सुलेमान NIA कोर्ट में दोषी करार: मैसूर बम ब्लास्ट मामले में 5 साल बाद आया फैसला

जिस वक्त कोर्ट परिसर में धमाका हुआ, उसी वक्त मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के बेटे राकेश सिद्धरमैया की अंत्येष्टि हो रही थी और इस में शामिल होने राज्य के सभी वीवीआईपी मैसूर में मौजूद थे।

मैसूर कोर्ट ब्लास्ट केस में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने शुक्रवार (अक्टूबर 8, 2021) को तीन आरोपितों को दोषी ठहराया है। 2016 के मैसूर कोर्ट में हुए विस्फोट मामले में कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए तीनों आतंकी अल कायदा से जुड़े हैं और ये सभी तमिलनाडु के निवासी हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट में जाँच एजेंसी के हवाले से ये जानकारी दी गई है।

बता दें कि साल 2016 में कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी मैसूर में स्थानीय कोर्ट परिसर के पब्लिक टॉयलेट में जोरदार धमाका हुआ था। दोषियों, नैनार अब्बास अली उर्फ लाइब्रेरी अब्बास, एम सैमसन करीम राजा उर्फ करीम उर्फ अब्दुल करीम और दाऊद सुलेमान ने मैसूर के चामराजपुरम इलाके के जिला अदालत परिसर में सार्वजनिक शौचालय के अंदर बम रखा था। उस वक्त कोर्ट की कार्रवाई चल रही थी। धमाके की वजह से लोगों को चोटें आईं थी। धमाके से खिड़की के शीशे टूट गए। शहर के सभी भीड़-भाड़ वाले इलाके में चौकसी बढ़ा दी गई थी।

इस धमाके से सुरक्षा एजेंसियों के काम करने के तरीके पर सवाल उठे थे। क्योंकि, जिस वक्त कोर्ट परिसर में धमाका हुआ, उसी वक्त मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के बेटे राकेश सिद्धरमैया की अंत्येष्टि हो रही थी और इस में शामिल होने राज्य के सभी वीवीआईपी मैसूर में मौजूद थे। इनमें पुलिस प्रमुख से लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश तक शामिल थे। बताया जाता है कि कड़ी सुरक्षा की वजह से उस जगह पर धमाका करने का मौका उन्हें नहीं मिला था और ऐसे में विस्फोटक को कोर्ट परिसर में फेंक दिया गया।

मामला मूल रूप से 1 अगस्त 2016 को मैसूर शहर के लक्ष्मीपुरम पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। बाद में गृह मंत्रालय के आदेश पर राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने फिर से मामला दर्ज किया और जाँच को अपने हाथ में ले लिया। .

एनआईए की जाँच से पता चला है कि मैसूर कोर्ट में बम विस्फोट बेस मूवमेंट के सदस्यों द्वारा किए गए पाँच बम विस्फोटों की श्रृंखला में से एक था, जो आतंकवादी समूह अल-कायदा से जुड़ा एक संगठन है।

एनआईए ने कहा कि दोषियों ने 7 अप्रैल 2016 को चित्तौड़ कोर्ट (नेल्लोर, आंध्र प्रदेश) में बम विस्फोट को भी अंजाम दिया था। इसके बाद 15 मई, 2016 को केरल के कोल्लम कोर्ट में, 12 सितंबर, 2016 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर कोर्ट में और 1 नवंबर, 2016 को केरल के मल्लापुरम कोर्ट में धमाके को अंजाम दिया था।

एनआईए की जाँच में यह भी पता चला कि नैनार अब्बास अली और दाऊद सुलेमान ने जनवरी 2015 में अल-कायदा और उसके नेता ओसामा बिन लादेन की विचारधारा से प्रेरित होकर तमिलनाडु में बेस मूवमेंट का गठन किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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