‘ईद मुबारक’ के मौक़े पर भी जम्मू-कश्मीर में शांति नहीं है। बुधवार को सुबह 8 बजे ईद की नमाज पढ़ने वाले लोगों ने 11 बजे उपद्रवी बनकर सेना पर पत्थरबाजी की। साथ ही पाकिस्तान का झंडा भी फहराया।
खबरों के मुताबिक उपद्रवियों की भीड़ खतरनाक आतंकी जाकिर मूसा के समर्थन में सड़कों पर उतरी हुई है। भीड़ के हाथ में मूसा के पोस्टर है, जिन पर मूसा आर्मी लिखा हुआ है। साथ में इन पोस्टरों पर मसूद अजहर की तस्वीर भी बनी हुई है।
Jammu and Kashmir: Stones pelted at security forces near Jamia Masjid in Srinagar; and posters supporting terrorist Zakir Musa and UN designated terrorist Masood Azhar seen in the area. pic.twitter.com/qu7uea90YO
— ANI (@ANI) June 5, 2019
बता दें जिस जाकिर मूसा के समर्थन में भीड़ सेना पर पथराव कर रही है, वो पिछले महीने आतंकियों और सुरक्षाबल के बीच हुई एक मुठभेड़ में मारा गया है। जाकिर ए डबल प्लस (A++) कैटेगरी का आतंकी था, जिसके ऊपर 20 लाख रुपए का इनाम रखा गया था।
ये है इनका #EidMubarak देखो कैसे जश्न मना रहे है
— Raj Anand ?? (@rajanandbjp) June 5, 2019
फिर कहेंगे ये भटके हुए है और आंतकवाद का कोई धर्म नहीं होता.
जिन अंधों को आंतकवाद का धर्म नहीं दिखता वो इस #EidUlFitr की तस्वीर देख ले.
हे राम आपसे अनुरोध है ये इनकी आखिरी #eid हो ?
सेना पर पत्थरबाजी की खबर सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर आते ही लोगों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। लोगों का कहना है कि इस तरह की हरकत के बावजूद भी लोग इन पत्थरबाजों को ‘भटके हुए लोग’ और ‘आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता’ जैसी बातें करेंगे। कुछ लोग सरकार से जल्द से जल्द 370 और 35 ए को खत्म करने की बात कह रहे हैं, तो कुछ गृह मंत्री अमित शाह से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि इन पत्थरबाजों को जल्द से जल्द सबक सिखाया जाएगा।
Baas 370 aur 35A ke hatne ka intzaar karo bachho uske baad hum khelenge aur tum dekhoge. UP bihar ke logo ko pahuchne ka jaroorat h baki sab apne aap control me aa jayega.
— Param Raj (@ParamRaj14) June 5, 2019
ट्विटर पर ही एक शख्स ने इस घटना के बारे में पढ़कर लिखा है कि उसका मन करता है कि वो ईद मनाए लेकिन ये सब देखकर वो ईद कैसे मनाए? बबलू पाठक नामक ट्विटर यूजर का कहना है कि भाईचारे की बात सब करते हैं, लेकिन ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती है। हम साथ की बात करते है वो अलगवाद की बात करता है फिर बोलते है हमें कि हम मुस्लिम विरोधी हैं।
दिल तो हमारा भी करता है कि साथ ईद बनाए लेकिन ईद के दिन ही ये सब देखकर कसे मनाय कोई ईद कैसे करे भाईचारे की बात ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती है हम साथ का बात करते है वो अलगवाद की बात करता है फिर बोलते है कि हमें हम मुस्लिम विरोधी है
— Bablu pathak (@Bablupathak11) June 5, 2019
ट्विटर पर लोगों ने महबूबा और उमर फारूक़ पर भी सवाल उठाए हैं, जिन्हें ये पत्थरबाज मासूम लगते हैं। यूजर्स ने पूछा है, “क्या ये है शान्ति का त्यौहार? अगर शान्ति इसे कहते हैं तो आतंकवाद किसे कहते हैं। ऐसा क्या सिखाते हैं जो मस्जिदों से बाहर निकलते ही आतंक फैलाना शुरू करा देते हैं।”
यह महबूबा जी और उमर कहाँ हैं, जिन्हें यह पत्थरबाज मासूम लगते हैं, यह शान्ति का मजहब और यह शान्ति का त्यौहार ? अगर शान्ति इसे कहते हैं तो आतंकवाद किसे कहते हैं। ऐसा क्या सिखाते हैं जो मस्जिदों से बाहर निकलते ही आतंक फैलाना शुरू करा देते हैं। इस लाईलाज मर्ज का एक ही ईलाज ‘ठोको’
— संजीव अरोड़ा ?47K? (@Sanjeevarora64) June 5, 2019