जम्मू-कश्मीर में अब आतंकवादी संगठन स्कूली बच्चों को मोहरा बनाने की फिराक में है। इंटेलिजेंस एजेंसियों ने इस बारे में सुरक्षाबलों को अलर्ट किया है। खुफिया एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों को सूचित किया है कि आतंकवादी घाटी में स्कूली बच्चों को कट्टरपंथी बनाने के लिए जमात-ए-इस्लामी जैसे प्रतिबंधित संगठनों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इंटेलिजेंस इनपुट्स के मुताबिक आतंकी संगठनों ने कश्मीर में स्कूली बच्चों के जेहन में कट्टर सोच भरने का खाका तैयार किया है। ऐसी रिपोर्ट हैं कि आतंकी संगठन इस खुराफात के लिए प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी को आगे कर रहे हैं। जमात-ए-इस्लामी घाटी में स्कूली बच्चों में कट्टर सोच भरने का जिम्मा सौंपा गया है।
आतंकवादी संगठन स्कूली बच्चों को कट्टरपंथी बनाने और एक समानांतर स्कूली शिक्षा प्रणाली शुरू करने के लिए इस संगठन के कैडर का उपयोग कर रहे हैं। ऐसी खबरें हैं कि जमात-ए-इस्लामी कश्मीर में स्थानीय स्तर पर एक समानांतर स्कूली शिक्षा प्रणाली स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। इसका उद्देश्य बच्चों में सरकार विरोधी नैरेटिव फैलाना और बच्चों में नफरत भरना है।
आतंकी संगठनों की एक तरफ ये रणनीति है तो दूसरी ओर घाटी में पहले से चल रही स्कूली व्यवस्था को निशाना बनाने की कोशिश भी की जा रही है। हाल ही में आतंकवादियों ने चावलगाम में एक स्कूल की इमारत को जलाने की कोशिश की। वहीं आतंकवादी संगठन और भी सरकारी स्कूलों को निशाना बनाने की योजना बना रहे हैं।
दरअसल ये आतंकी संगठन स्कूलों पर हमला करके बच्चों के अभिभावकों के दिलों में दहशत भरना चाहते हैं। जिससे कि वो अपने बच्चों को इन स्कूलों से निकाल कर जमात-ए-इस्लामी द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में भेजने के लिए मजबूर हो जाएँ।
उल्लेखनीय है कि केंद्र ने मार्च में जमात-ए-इस्लामी जम्मू और कश्मीर पर पाँच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया। इसमें कहा गया था कि संगठन उग्रवादी संगठनों के साथ घनिष्ठ संपर्क में था। जमात-ए-इस्लामी को आतंकवाद-रोधी कानूनों के तहत प्रतिबंधित किया गया था, जिसका उद्देश्य राज्य में किसी भी अलगाववादी गतिविधि को बढ़ने से रोकना है।