एनआईए के 3 अधिकारियों को एजेंसी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है क्योंकि उन पर एक कारोबारी से 2 करोड़ रुपए रिश्वत माँगने का आरोप लगा है। टेरर फंडिंग की जाँच प्रक्रिया के दौरान इन अधिकारियों ने कारोबारी से घूस माँगा और उसका नाम न शामिल करने का भरोसा दिया। यह पूरा मामला हाफिज सईद की संस्था के ख़िलाफ़ जाँच से सम्बंधित है। इन अधिकारियों में समझौता ब्लास्ट जाँच के मुख्य अधिकारी भी शामिल हैं।
मुंबई हमलों का साज़िशकर्ता हाफिज सईद द्वारा संचालित संस्था फलाह-ए-इंसानियत के डेप्युटी चीफ शाहिद महमूद और अन्य लोगों के खिलाफ दिल्ली और हरियाणा में आतंकवादी नेटवर्क तैयार करने के आरोप में एनआईए ने पिछले वर्ष मामला दर्ज किया था। एनआईए ने इस मामले में शुरुआत में दिल्ली निवासी दो आरोपितों, मोहम्मद सलमान और मोहम्मद सलीम को गिरफ़्तार भी किया था। इसके बाद राजस्थान स्थित नागौर का रहने वाला मोहम्मद हुसैन एनआईए के शिकंजे में आया था।
National Investigation Agency Spokesperson on alleged bribery charges against 3 NIA officers in connection with a terror funding case: An inquiry into the allegations is being conducted by a DIG rank officer.The 3 concerned officials transferred out to ensure a fair probe. pic.twitter.com/ZVB2q0eD9X
— ANI (@ANI) August 20, 2019
इसके बाद एनआईए ने एक अन्य आरोपित मोहम्मद आरिफ गुलाम बशीर धरमपुरिया को यूएई से प्रत्यर्पित कर भारत लाने में सफलता पाई। इस मामले में हाफ़िज़ सईद के ख़िलाफ़ भी चार्जशीट दायर की जा चुकी है। हालाँकि, अभी तक एनआईए ने आरोप के सही होने की कोई पुष्टि नहीं की है और कहा है कि डीआईजी लेवल के अधिकारी के नेतृत्व में चल रही जाँच के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकेगा।
एनआईए को इस सम्बन्ध में एक महीने पहले ही शिकायत मिली थी। एनआईए ऐसी आरोपों को गंभीरता से लेता है और सबसे पहली कार्रवाई के रूप में अधिकारियों को एजेंसी से बाहर ट्रांसफर कर दिया जाता है। एनआईए ने कहा कि ट्रांसफर का मतलब यह नहीं होता कि आरोप सही हैं। अभी तक जाँच पूरी नहीं हुई है लेकिन किसी भी प्रकार की फिरौती लेने की बात को एनआईए ने खारिज कर दिया है।