पाकिस्तानी जासूसों ने ब्रम्होस मिसाइल के इंजीनियर को हनीट्रैप करके उसके लैपटॉप से खुफिया जानकारी निकाल ली। यह सब उसके लैपटॉप में फर्जी एप के जरिए सेंध लगाकर किया गया। इंजीनियर निशांत अग्रवाल को नौकरी के बहाने यह एप इंस्टाल करवाए गए थे। निशांत अग्रवाल को हाल ही में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रम्होस मिसाइल की जानकारियाँ साझा करने वाले निशांत अग्रवाल फेसबुक पर सेजल नाम की एक लड़की से बात करता था। यह असल में पाकिस्तानी जासूस थी और इस अकाउंट को पाकिस्तान से ही चलाया जा रहा था। सेजल ने उसे हनीट्रैप कर लिया था।
निशांत अग्रवाल मामले का खुलासा करने वाली उत्तर प्रदेश ATS के एक अधिकारी ने इस मामले में कई जानकारियाँ दी हैं। UP ATS के एक अधिकारी ने बताया है कि सेजल नाम का यह अकाउंट साइबर अटैक के बारे में भी योजना बना रहा था। सेजल ने खुद को इंग्लैंड की एक कम्पनी में भर्ती करने वाले के तौर पर निशांत को बताया था।
निशांत को सेजल ने बताया था कि वह हेस एविएशन नाम की एक कम्पनी के लिए लोगों को भर्ती कर रही है। इन दोनों की अन्य सोशल मीडिया माध्यमों से भी बातचीत हुई थी। इस दौरान निशांत अग्रवाल के लैपटॉप पर सेजल ने तीन सॉफ्टवेयर डलवाए थे। इनके नाम क्यूव्हिस्पर, चैट टू हायर और एक्स ट्रस्ट थे। निशांत ने सेजल के दिए हुए लिंक से इन्हें डाउनलोड किया था।
सेजल ने बताया था कि यह भर्ती प्रक्रिया का एक हिस्सा हैं। असल में यह सॉफ्टवेयर, वायरस थे जो कि अग्रवाल के लैपटॉप से डाटा चुराने के काम में लिए गए थे। निशांत अग्रवाल के लैपटॉप में ब्रह्मोस से जुड़ा हुआ गोपनीय डाटा था, जिसे पाकिस्तानियों ने इन सॉफ्टवेयर के जरिए चुरा लिया।
गौरतलब है कि निशांत अग्रवाल को 2018 में उत्तर प्रदेश ATS ने गिरफ्तार किया था। वह भारत के महत्वपूर्ण रक्षा कार्यक्रम ब्रह्मोस का हिस्सा था। यहाँ वह एक सीनियर सिस्टम इंजीनियर था। उसे नागपुर में चले मुकदमे में गोपनीय जानकारियाँ साझा करने का दोषी पाया गया है। उसे हाल ही में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।