उत्तर प्रदेश के मेरठ में एसएसपी अजय साहनी के सड़क पर नमाज़ नहीं अता किए जाने के आदेश की सराहना पूरे प्रदेश में हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डीजीपी ओपी सिंह ने मेरठ में एसएसपी के इस फ़ैसले को सराहनीय बताया। साथ ही अन्य ज़िलों के आला अधिकारी भी इस फ़ैसले को अमल पर लाने का विचार कर रहे हैं। इस संदर्भ में डीजीपी ने सभी पुलिस कप्तानों को आदेश दिए हैं कि वे भी अपने ज़िलों में सड़क पर नमाज़ अदा न होने दें।
यूपी पुलिस की इस नायाब पहल के बाद मेरठ में जिन मस्जिदों के बाहर नमाज अता होती थी, वहाँ दूसरे जुमे को भी सड़क पर नमाज़ अदा नहीं की गई। इसके लिए प्रशासनिक तौर पर ऐसी व्यवस्था की गई थी कि जुमे की नमाज़ के वक़्त यातायात प्रभावित न हो सके। इसी के मद्देनज़र मस्जिदों में इंतेजामिया कमिटि ने प्रशासन का सहयोग करते हुए सभी नमाज़ियों से सड़क पर नमाज़ न अता करने की अपील की। इसके लिए उन्होंने जगह-जगह बैनर भी लगाए।
आमतौर पर यह देखा गया है कि जुमे की नमाज़ के लिए मस्जिद के अंदर जगह कम पड़ जाती है, जिससे नमाज़ियों को सड़क पर नमाज़ अता करनी पड़ती है। सड़क पर नमाज़ अता करने से यातायात तो बाधित होता ही है, साथ में पैदल आने-जाने वाले लोगों को भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इन सब को ध्यान में रखते हुए एसएसपी अजय साहनी ने उलेमाओं से मिलकर सड़क पर नमाज़ अता न करने का आग्रह किया था। दोनों के बीच सहमति बन जाने पर तय हुआ कि सड़क पर नमाज़ अता नहीं की जाएगी।
ख़बर के अनुसार, 9 अगस्त को काली सड़क छोड़कर फुटपाथ वाले हिस्से के बाहर नमाज़ अता की गई। इससे न तो यातायात प्रभावित हुआ और न पैदल यात्रियों के आने-जाने में कोई दिक्कत हुई। दूसरे जुमे (16 अगस्त) को भी यही व्यवस्था बनी रही। मुख्य हापुड़ मार्ग की इमलियान मस्जिद के बाहर नमाज़ के वक़्त काली सड़क को खाली छोड़ दिया गया था और फुटपाथ पर रस्सी लगाकर मस्जिद के बाहर नमाज़ अता करने की व्यवस्था की गई थी।
इसके अलावा मेरठ की भवानी नगर मस्जिद में इंतजामिया कमिटी की ओर से बैनर लगाकर सड़क पर नमाज़ अता न करने की अपील भी की गई।