भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को चहुँओर घेरने के प्रयासों के बाद पाकिस्तान के तेवर ढीले पड़ते दिख रहे हैं। सुरक्षा परिषद द्वारा आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का नाम लेकर उसकी निंदा करने से लेकर FATF (फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स) द्वारा पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने तक- पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती ने भी पाकिस्तान को घुटनों पर ला खड़ा किया है। ऐसे में, वहाँ के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के तेवर भी अब ढीले पड़ते दिख रहे हैं। उन्होंने भारत से एक मौक़ा और देने की बात कही है।
पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 भारतीय जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोषियों को न छोड़ने की बात कह भारतीय रुख को स्पष्ट कर दिया था। हाल ही में राजस्थान के टोंक में पाक पीएम इमरान ख़ान के बारे में बोलते हुए मोदी ने कहा था:
“जब पाकिस्तान को नया पीएम मिला तो मैंने उन्हें बधाई दी। जनता उन्हें क्रिकेटर के तौर पर जानती है। मैंने उनसे कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच बहुत लड़ाई हो गई। पाकिस्तान को कभी कुछ नहीं मिला, हर लड़ाई हमने जीती। मैंने उन्हें बताया कि हमें ग़रीबी और अशिक्षा के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़नी चाहिए। उन्होंने (इमरान ख़ान) कहा- ‘मोदी जी मैं पठान का बेटा हूँ। मैं सच बोलता हूँ और अपने शब्दों पर कायम रहूंगा। अब वक्त आ गया है कि इमरान खान अपने शब्दों पर खरे उतरें। आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करनी चाहिए।”
क्या हुआ इमरान की ‘पठानी’ जुबान का? जब प्रधानमंत्री मोदी ने दिलाया पाक के प्रधानमंत्री को उनका किया वादा.#Khabardar
— आज तक (@aajtak) February 23, 2019
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मोदी के इस बयान का जवाब देते हुए इमरान ख़ान ने पुलवामा हमले से जुड़े सबूत की माँग की है और कहा है कि अगर भारत ‘कार्रवाई करने योग्य’ सबूत देता है तो वह उपयुक्त क़दम उठाएँगे। इमरान ख़ान के कार्यालय की तरफ से जारी बयान में सबूत मिलने पर तत्काल कार्रवाई की बात कही गई है। विगत गुरुवार (फरवरी 19, 2019) को भी ख़ान ने भारत से सबूतों की माँग की थी। साथ ही उन्होंने भारत द्वारा किसी भी कार्रवाई का कड़ा प्रत्युत्तर देने की धमकी भी दी थी। रविवार (फरवरी 24, 2019) को इमरान ख़ान ने अपने बयान में कहा:
“दिसंबर 2015 में पीएम मोदी के साथ मेरी बैठक में, हम एक-दूसरे से इस बात पर सहमत हुए थे कि ग़रीबी उन्मूलन हमारे क्षेत्र के लिए एक प्राथमिकता है। हम किसी भी आतंकवादी घटना द्वारा शांति प्रयासों को पटरी से उतारने की उनकी योजना को सफल नहीं होने देंगे। हालाँकि, पुलवामा से बहुत पहले, ये प्रयास सितंबर 2018 में पटरी से उतर गए थे।”
उधर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने भारत को धमकी देते हुए अपने रुख में बदलाव करने को कहा है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को भी पत्र लिख कर हस्तक्षेप की माँग की है। क़ुरैशी ने गीदड़-भभकी देते हुए कहा कि भारत पाकिस्तान पर बुरी नज़र न डाले। एक तरफ़ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान मोदी से एक और मौक़े की माँग कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ़ उनके विदेश मंत्री भारत को आँखें दिखा रहे हैं। इमरान ख़ान ने यह भी कहा कि भारत में आगामी आम चुनाव के कारण शांति की उम्मीद बहुत कम है।