बिहार के गोरौल स्टेशन पर होते-होते बचे हादसे में रेलवे ने स्टेशन अधीक्षक को दोषी मानते हुए सेवानिवृत्ति की सजा दी है। जाँच में महकमे ने पाया कि अधीक्षक सुनील कुमार सिंह की भूल से 23 मई को दो ट्रेनों की भिड़ंत का भीषण हादसा हो सकता था। मुजफ्फरपुर-हाजीपुर रेलखण्ड के इस मामले में सोनपुर मण्डल ने जाँच समिति की रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर यह निर्णय लिया है।
एक ही लाइन पर दो ट्रेनें
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोनपुर मण्डल में यह इतनी बड़ी सजा का पहला मामला है। गोरौल स्टेशन पर 23 मई को दो ट्रेनें, सिवान-समस्तीपुर पैसेंजर ट्रेन और बिहार सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस, एक साथ एक ही लाइन पर आ गईं थीं। इसके बाद मामले की जाँच के लिए डीआरएम ने जाँच टीम गठित की थी, जिसकी जाँच में स्टेशन अधीक्षक सुनील कुमार सिंह की लापरवाही की बात सामने आई थी। इसके बाद डीएआर के तहत एक दूसरी टीम का गठन स्टेशन अधीक्षक का पक्ष जानने के लिए किया गया था। उसके सामने उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था।
इस टीम ने स्टेशन अधीक्षक के अलावा 26 जून, 2019 को पीछे से आने वाली बिहार सम्पर्क क्रांति के चालकों (लोको पायलट व सहायक लोको पायलट) का भी बयान दर्ज किया था। उसके मुताबिक जिस समस्य एक नंबर लाइन पर पैसेंजर ट्रेन खड़ी थी, उसी दौरान कंट्रोल द्वारा थ्रो पास कराने को कहे जाने के बाद स्टेशन अधीक्षक ने सम्पर्क क्रांति को भी दो नंबर लाइन की बजाय एक नंबर लाइन का ही पास दे दिया था।
मच गई थी भगदड़
जब सम्पर्क क्रांति स्टेशन पर सिवान-समस्तीपुर पैसेंजर की ओर बढ़ी तो पैसेंजर के यात्रियों में भगदड़ मच गई थी। जान बचाकर भागते यात्रियों की चपेट में आकर शालू देवी, सविता देवी, चंदन कुमार और शौकत खातून ज़ख़्मी हो गए थे। सम्पर्क क्रांति के चालक रवि शंकर कुमार ने बताया कि अपनी लाइन पर दूसरी गाड़ी खड़ी देखते ही उन्होंने ब्रेक लगा दिया था, जिसके चलते एक्सप्रेस ट्रेन पैसेंजर से 200 मीटर पहले ठहर गई और बड़ा हादसा होते-होते बच गया था। उग्र यात्रियों ने बाद में स्टेशन पर तोड़फोड़ शुरू कर दी थी, जिसमें रिटायर किए गए स्टेशन अधीक्षक सुनील खुद भी ज़ख़्मी हो गए थे।
मोदी सरकार शुरुआत से ही अकुशल कर्मचारियों पर हमलावर रही है। कई बड़े अफसरों के तबादले, निलंबन या जबरन रिटायरमेंट कर सरकारी मशीनरी की गुणवत्ता को सुधारा जा रहा है। रेलवे मंत्री ने भी अपने महकमे में चाबुक चलने को लेकर पहले ही सतर्क कर दिया था।
With action being taken against some officers who have integrity issues, the right message is going to people.
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) July 14, 2019
Even in the Railways, we are now studying the profiles of many officers to see if some action can be initiated against them to send the right message. pic.twitter.com/vsK2sMeytq
बीजेपी शासित राज्यों की बात करें तो भ्रष्ट कर्मचारियों पर हर जगह सख्ती दिखाई जा रही है। योगी सरकार की बात करें तो उत्तर प्रदेश में 200 अधिकारी को जबरन रिटायर, 600 पर कार्रवाई, 100 को रडार पर रखा। जिन 100 अधिकारियों पर योगी सरकार की नज़र है, उनमें से अधिकतर IAS और IPS अधिकारी हैं। उधर उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लापरवाह और मनमानी करने वाले अधिकारियों को चेतावनी देते हुए उन्हें कंपल्सरी रिटायरमेंट का अल्टिमेटम दे दिया है।