देश में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए किसी भी व्यक्ति के ज़ेहन में यातायात साधनों में सबसे पहले रेल का ही नाम आता है। नौकरी-पलायन-रोजगार या फिर सैर-सपाटा… आज रेल हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है। आज के समय में लाखों लोग दिन-प्रतिदिन इसमें सफर करते हैं। ऐसे में जरूरी है कि देश की स्वच्छता के साथ-साथ रेलवे की स्वच्छता पर भी बराबर ध्यान दिया जाए।
इसी कड़ी में साल 2018 के लिए ट्रेन क्लीनलीनेस सर्वे में 210 ट्रेनों की जाँच-पड़ताल की गई। इस सर्वे में बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सर्वेक्षण के मुताबिक एक तरफ जहाँ शताब्दी देश की सबसे साफ ट्रेन है, वहीं पर दुरंतो को सफाई के मामले में सबसे गंदी ट्रेन का दर्ज़ा मिला है।
रेलवे की सफाई का यह सर्वेक्षण दो मानदंडो पर किया गया- पहला शौचालय की सफाई के आधार पर और दूसरा कोच की पर्याप्त सफाई के आधार पर। इन मानदंडों पर खरी उतरती हुई पुणे-सिकंदराबाद तथा हावड़ा-राँची शताब्दी के साथ-साथ तीन अन्य शताब्दी ट्रेनें स्वच्छता के मामले में सबसे ऊपर रहीं।
राजधानी ट्रेनों का भी सर्वे किया गया। 23 राजधानी ट्रेनों में से एक तरफ जहाँ मुंबई-नई दिल्ली राजधानी सबसे स्वच्छ दिखी, वहीं दिल्ली-डिब्रूगढ़ राजधानी को सबसे ज्यादा गंदी राजधानी का ‘तमगा’ दिया गया।
इन 210 ट्रेनों के बीच किए गए सर्वेक्षण में ट्रेनों को दो सूची में विभाजित किया गया- एक प्रीमियम और दूसरी नॉन प्रीमियम। सर्वेक्षण में 15,000 यात्रियों ने रेटिंग दी। हालाँकि अभी इस सर्वेक्षण के नतीज़े पूर्ण रूप से सामने नहीं आए हैं। आपको बता दें कि स्वच्छता मानदंडो पर रेलवे स्टेशनों की रैंकिंग को भी सार्वजनिक किया जा चुका है।
सर्वेक्षण में यात्रियों ने शौचालय की सफाई, बेड रोल्स की सफाई, पेस्ट मैनेजमेंट की प्रभावशीलता, हाउसकीपिंग स्टाफ के काम और डस्टबिन की उपलब्धता के आधार पर ज़ीरो से पांच तक के अंक दिए।
ट्रेन में शौचायल की सफाई पर बात करते हुए रेलवे के एक अधिकारी ने इस बात को स्वीकारा कि रेलवे में शौचायल की स्वच्छता को बनाए रख पाना वाकई बहुत कठिन काम है। उनके अनुसार एक शौचालय दिनभर में लगभग 60 बार इस्तेमाल किया जाता है।
आपको बता दें कि रेलवे की एन्वायरन्मेंट एंड हाउसकीपिंग मैनेजमेंट शाखा द्वारा स्वच्छता की जाँच करने का यह पहला सर्वेक्षण है।