पंजाब कॉन्ग्रेस के नेता, पूर्व क्रिकेटर, कमेंटेटर और अमरिंदर सिंह सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने दावा किया है कि वह एक महीने से अधिक समय पहले 10 जून को ही पंजाब सरकार के मंत्रीपद से इस्तीफा दे चुके हैं। आज (14 जुलाई, 2019) को उन्होंने उस इस्तीफ़े की एक प्रति भी जारी की।
My letter to the Congress President Shri. Rahul Gandhi Ji, submitted on 10 June 2019. pic.twitter.com/WS3yYwmnPl
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) July 14, 2019
लेकिन इसमें दिलचस्प बात यह है कि यह इस्तीफा उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह या पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर को नहीं, बल्कि कॉन्ग्रेस के तत्कालीन (?) अध्यक्ष राहुल गाँधी को भेजा था। उन्होंने उसी ट्वीट के ठीक बाद यह भी ट्वीट किया कि वह अपना त्यागपत्र कैप्टेन अमरिंदर सिंह को भी भेजेंगे।
Will be sending my resignation to the Chief Minister, Punjab.
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) July 14, 2019
यहाँ यह समझ लेना जरूरी है कि अगर उन्होंने अभी तक इस्तीफा केवल राहुल गाँधी को भेजा है, और मुख्यमंत्री या राज्यपाल को नहीं, जैसा कि उनके ट्वीट से लगता है, तो यह इस्तीफा संवैधानिक रूप से सहीं नहीं हो सकता। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनकी पार्टी के अध्यक्ष को मंत्रियों की नियुक्ति, कार्य में हस्तक्षेप या इस्तीफ़े लेने का प्राधिकार नहीं है। उनका त्यागपत्र मान्य तभी होता, या भविष्य में भी तभी मान्य होगा, जब वह मुख्यमंत्री या राज्यपाल द्वारा स्वीकृत किया जाएगा। वह अधिक-से-अधिक राहुल गाँधी को मुख्यमंत्री या राज्यपाल को सम्बोधित इस्तीफे की प्रति भेज सकते थे- वह भी तब यदि त्यागपत्र गोपनीयता की संवैधानिक शपथ के दायरे से बाहर का दस्तावेज हो, अन्यथा वह भी नहीं।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सिद्धू को यह सब सामान्य राजनीतिक बातें पता ही नहीं हैं, या फिर यह ‘इस्तीफ़ा’ केवल एक राजनीतिक ‘स्टंट’ है। अगर उन्हें यह पता ही नहीं था कि उनका इस्तीफा लेने का अधिकार राहुल गाँधी को नहीं, अमरिंदर सिंह को है तो यह मंत्री के तौर पर उनकी काबिलियत पर प्रश्नचिह्न है। और यदि यह महज़ एक राजनीतिक स्टंट है तो… इसका जवाब बेहतर सिद्धू ही दे सकते हैं।