दिल्ली हाईकोर्ट से पाकिस्तान के शरणार्थी हिन्दुओं को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण को आदेश दिया है कि वो मजनू का टीला पर रह रहे पाकिस्तानी शरणार्थियों के शिविर पर कोई दंडात्मक अथवा ध्वस्तीकरण की कार्रवाई न करें। DDA ने नोटिस भेज कर इस शिविर पर 6 मार्च को बुलडोजर चलाने की सूचना दी थी। फिलहाल इस मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च 2024 को तय की गई है। हाईकोर्ट के इस निर्णय पर शरणार्थियों ने ख़ुशी जताई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह सुनवाई जस्टिस जस्टिस मिनी पुष्करणा की बेंच में हुई। कोर्ट में पाकिस्तानी शरणार्थियों का पक्ष एडवोकेट रवि रंजन सिंह ने रखा। उन्होंने अदालत से माँग की है कि जब तक इन शरणार्थियों को रहने के लिए कोई वैकल्पिक जगह नहीं दे दी जाती तब तब उनको हटाना न्यायोचित नहीं होगा। वहीं अदालत में DDA की तरफ से पेश हुए वकील ने कार्रवाई के पीछे NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के आदेश को वजह बताया। दोनों पक्षों की दलीलें सुन कर अदालत ने फैसला शरणार्थियों के पक्ष में सुनाया।
अदालत ने अपने फैसले में साल 2013 में भारत के तत्कालीन एडिशनल सॉलिसिटर जनरल द्वारा दिए गए बयान का हवाला दिया। 29 मई 2013 को डब्ल्यू.पी. (सी) नंबर 3712/2013 के तहत जारी इस आदेश में कहा गया था कि पाकिस्तान से आए हिन्दुओं को हर प्रकार का सहयोग किया जाएगा। शरणार्थियों को अंतरिम राहत देते हुए हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई तक DDA को किसी भी प्रकार के ध्वस्तीकरण आदि न करने के आदेश दिए। सुनवाई के लिए अगली तारीख इसी महीने 19 मार्च को तय हुई है।
बताते चलें कि 8 मार्च को ऑपइंडिया ने अपनी ग्राउंड रिपोर्ट में बताया था कि कैसे यमुना क्षेत्र पर अतिक्रमण के नाम पर सिर्फ एकतरफा पाकिस्तानी शरणार्थियों को ही नोटिस थमाई गई थी। तब शरणार्थियों ने हमें DDA की वो नोटिस दिखाई थी जो उनके घरों पर चिपका दी गई थी। इस नोटिस में 8 तारीख तक उनकी बस्ती को ध्वस्त करने की बात कही गई थी। हालाँकि, बगल में गुरूद्वारे के रिवर व्यू चबूतरा और पूरा यमुना नदी के क्षेत्र में बने तिब्बती मार्किट में DDA द्वारा कोई नोटिस गई थी या नहीं इसकी जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं हो पाई है।