Sunday, December 22, 2024
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दीवाली की रात पटाखे पर ‘ज्ञान’ दे रहा था अनिल कपूर का बेटा, यूजर्स ने पिता की आतिशबाजी दिखा बैंड बजाई: ट्वीट डिलीट कर भागे

सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचनाओं के बाद हर्षवर्धन कपूर ने अपने ट्वीट का बचाव करते हुए दावा किया कि उनके पिता की आतिशबाजी वाली तस्वीर 5 साल पुरानी है। इस साल उन्होंने आतिशबाजी नहीं की है। हालाँकि बाद में अभिनेता ने अपने दोनों ट्वीट डिलीट कर दिए।

जब पूरा देश गुरुवार (4 नवंबर 2021) की रात दीपावली मनाने में जुटा था उसी वक्त अभिनेता हर्षवर्धन कपूर ने ट्वीट कर पटाखों पर ज्ञान दिया। यूजर्स ने इसके जवाब में उन्हें उनके पिता अनिल कपूर की आतिशबाजी तक याद दिला दी। आखिर में हर्षवर्धन ने अपना ट्वीट ही डिलीट कर दिया।वैसे यह पहला मौका नहीं है जब बॉलीवुड अभिनेता अनिल कपूर के बच्चों ने खुद को लिबरल दिखाने के लिए हिंदुओं को उपदेश देने का काम किया है। हर्षवर्धन की बहन सोनम और रिया कपूर भी ऐसा करते रहते हैं।

हर्षवर्धन ने ट्वीट कर कहा, “लोग अभी भी हर जगह पटाखे फोड़ रहे। मेरे पालतू जानवर डरे हुए हैं। यह सभी के लिए असुविधाजनक है और पर्यावरण के लिए भी बेहद खराब। यही वजह है कि मैं कभी सांस्कृतिक तौर पर बँधा नहीं रहा हूँ। कभी-कभी सामान्य समझदारी दिखाने की भी जरूरत होती है।”

हर्षवर्धन के ट्वीट का स्क्रीनशॉट

सोशल मीडिया यूजर्स ने हर्ष कपूर पर उठाए सवाल

दिवाली की रात हर्षवर्धन का यह रवैया नेटिज़न्स को अच्छा नहीं लगा। सोशल मीडिया यूजर्स ने अभिनेता और उनके परिवार के दोहरे मापदंड की पोल खोल दी। ट्विटर यूजर्स @ theskindoctor13 ने 2016 की एक तस्वीर साझा की, जिसमें अनिल कपूर को पटाखे जलाते हुए देखा जा सकता है। उस तस्वीर के बैकग्राउंड में देखा जा सकता है कि हर्ष और उनकी बहन सोनम कपूर अपने पिता को पटाखे जलाते देख रहे हैं।

ट्विटर यूजर ने सवाल किया, “2016 की दिवाली, भाई क्या आप सोनम के बाईं ओर हैं? अपने पिताजी को पटाखे फोड़ने से क्यों नहीं रोका या आपका कॉमन सेंस हाल ही में जागा है?”

ट्वीट का स्क्रीनशॉट

एक अन्य ट्विटर यूजर ने प्राइवेट जेट में सफर कर रहे हर्ष कपूर की एक तस्वीर साझा की और बताया कि कैसे अभिनेता ने कार्बन उत्सर्जन की परवाह नहीं की। यूजर ने लिखा, “अंग्रेजीदा भारतीय अभिजात वर्ग दिवाली (पटाखे का 1 दिन) की आलोचना करना पसंद करते हैं, लेकिन बाकी के पूरे साल कार्बन फुटप्रिंट्स का ढेर लगाते हैं। आपकी पश्चिमी जीवनशैली का कार्बन फुटप्रिंट दिवाली मनाने वाले व्यक्ति के औसत से 1000 गुना अधिक है। यहाँ प्राइवेट जेट में आपके पिता अनिल कपूर की एक तस्वीर है।”

ट्वीट का स्क्रीनशॉट

एक अन्य यूजर ने अनिल कपूर की दिवाली मनाते हुए तस्वीरें शेयर कर हर्ष कपूर के बयान और उनके दोहरे रवैये को उजागर किया।

ट्वीट का स्क्रीनशॉट

एक अन्य लोकप्रिय ट्विटर यूजर (@desimojito) ने लिखा, “अनिल कपूर का कुत्ता साँस नहीं ले पा रहा था। जैकी श्रॉफ को जाकर अपने पूरे परिवार को संतुष्ट करना पड़ा।”

ट्वीट का स्क्रीनशॉट

बीजेपी नेता रोहित चहल ने हर्ष को उनकी बहन की शादी में आतिशबाजी पटाखों की याद दिलाई।

साभार: ट्विटर

सोशल मीडिया यूजर गणेश एकनाथ गायतोंडे ‘सांस्कृतिक प्रीसेट’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए स्टार किड के पाखंड पर सवाल उठाया।

ट्वीट का स्क्रीनशॉट

सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचनाओं के बाद हर्षवर्धन कपूर ने अपने ट्वीट का बचाव करते हुए दावा किया कि उनके पिता की आतिशबाजी वाली तस्वीर 5 साल पुरानी है। इस साल उन्होंने आतिशबाजी नहीं की है। हालाँकि बाद में अभिनेता ने अपने दोनों ट्वीट डिलीट कर दिए।

ट्वीट का स्क्रीनशॉट

दिवाली हिंदू समुदाय के लिए साल में एक बार मनाया जाने वाला उत्सव है, जहाँ लोग भगवान राम की अयोध्या वापसी का जश्न मनाने के लिए शाम को पटाखे जलाते हैं। वहीं, कई सरकारें, संगठन और अदालतें हिंदू त्योहार के खिलाफ लगातार टार्गेटेड अटैक कर रही हैं। इसे वायु प्रदूषण के पीछे का कारण बता रही हैं। हालाँकि, कम से कम ये दावे रिसर्च पर आधारित नहीं हैं और ना ही सही हैं।

साल भर औद्योगिक प्रदूषण, पराली जलाने और गाड़ियों से निकलने वाला धुआँ वायु प्रदूषण का प्रमुख कारक है। वहीं कुछ बॉलीवुड सेलेब्स और कुछ ‘धर्मनिरपेक्ष’ कार्यकर्ता हर साल दिवाली समारोह को वायु प्रदूषण के प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में चित्रित करने का प्रयास करते हैं। बाकी सभी चीजों को नजरअंदाज करने वाली उनकी चुनिंदा चिंता केवल हिंदू त्योहारों को बदनाम करती है।

उल्लेखनीय है कि 2016 में आईआईटी कानपुर के एक शोध में पाया गया था कि दिल्ली की खराब वायु गुणवत्ता में पटाखों का अधिक योगदान नहीं है। उक्त स्टडी के मुताबिक, कंस्ट्रक्शन साइटों की धूल प्रदूषण के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार थी। इसके बाद गाड़ियों का प्रदूषण, खराब बुनियादी ढाँचा और सबसे बड़ा कारण पराली जलाना था। हालाँकि, इस जुलाई में पटाखों के खिलाफ प्रतिबंध के एनजीटी के आदेश के खिलाफ एक याचिका में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए अध्ययन को खारिज कर दिया था कि उन्हें यह तय करने के लिए आईआईटी कानपुर की आवश्यकता नहीं है कि पटाखों से प्रदूषण होता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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