Monday, December 23, 2024
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‘हमें भरतनाट्यम सीखना है लेकिन नटराजा-सरस्वती को प्रणाम नहीं करेंगे, जीसस वाले स्टेप डालो’

नृत्य और पूजा के मामले पर तार्किक रूप से सोचने की बजाय ईसाई दंपती माँग करने लगे कि उनके मज़हब से जुड़ी चीज़ें, जीसस से जुड़े गाने भरतनाट्यम के रूप में सिखाए जाने चाहिए। इसकी जिम्मेदारी भरतनाट्यम शिक्षिका पर डाल बखेड़ा खड़ा कर दिया।

निहारिका गौड़ा नाम की एक ट्विटर यूज़र ने अपनी माँ, जो कि भरतनाट्यम शिक्षिका भी हैं, के साथ हुई एक घटना लिखी है, जिसे पढ़कर कोई भी हैरान रह जाएगा। निहारिका द्वारा शेयर की गई घटना से हमें पता चलता है कि समाज में असहिष्णुता और पंथिक कट्टरता कितनी ज्यादा बढ़ती जा रही है।

दरअसल, एक ईसाई दंपती ने अपने बच्चों को भरतनाट्यम में दाखिला दिलाने के बाद नटराजा की आरती करने से मना कर दिया। उन्होंने अपने पंथ से जुड़ी हुई चीज़ें भरतनाट्यम में जोड़कर सिखाए जाने की मॉंग भी की।

पूजा का सामान खुद लेकर आए

निहारिका के अनुसार, जब कोई भरतनाट्यम क्लास ज्वाइन करता है, तो उसे नटराजा की पूजा करनी होती है, यही प्रचलन है। जब 2 नए बच्चों ने क्लास ज्वाइन की, तो इसके बारे में शिक्षिका (निहारिका की माँ) ने पहले ही उनके पैरेंट्स को बता दिया था। निहारिका के अनुसार, उन अभिवावकों ने इसके लिए एडवाँस धनराशि दी और पूजा का सामान भी बच्चों के लिए खरीद कर लाए।

लेकिन, शिक्षिका ने जब पूजा के बाद उन बच्चों से आरती करने के लिए कहा तो महज़ दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले उन बच्चों ने आरती करने से सिर्फ इसलिए मना कर दिया, क्योंकि वे ईसाई हैं। इस पर भरतनाट्यम शिक्षिका ने उनके अभिवावकों को समझाने की कोशिश की कि अगर वे महज़ आरती से इतना बिदक रहे हैं, तो भरतनाट्यम सीखेंगे कैसे? चूँकि भरतनाट्यम में अधिकाँश नृत्य तो गणेश, सरस्वती, कृष्ण आदि के बारे में ही होते हैं।

“आपकी ज़िम्मेदारी है हमारे मज़हब के बारे में भी सिखाओ”

निहारिका अपने ट्वीट में लिखतीं हैं, नृत्य और पूजा के मामले पर तार्किक रूप से सोचने की बजाय दोनों बच्चों के अभिवावक माँग करने लगे कि उनके मज़हब से जुड़ी चीज़ें, जीसस से जुड़े गाने भरतनाट्यम के रूप में सिखाए जाने चाहिए। यही नहीं, इसे उन्होंने निहारिका की माँ (भरतनाट्यम शिक्षिका) की ‘ज़िम्मेदारी’ बताया और बखेड़ा करने लगे।

निहारिका लिखतीं हैं कि हालाँकि, इस ईसाई दंपती को भरतनाट्यम में जो-जो चीज़ें आतीं हैं- श्लोक, आरती, देवी-देवताओं के गाने आदि, उन सभी से समस्या है और इसके बावजूद भी वे अपने बच्चों को भरतनाट्यम सिखाना चाहते हैं।

ईसाई भी विरोध में

जिन्हें लग रहा है कि वह ईसाई दंपती गलत नहीं कर रहे हैं, उन्हें देखना चाहिए कि कैसे बहुत से ईसाई धर्म के लोग भी सोशल मीडिया पर इस दंपती की बुराई और निहारिका की माँ का समर्थन कर रहे हैं। अनीता लोबो के मुताबिक, जब उन्होंने संगीत सीखना शुरू किया तो वे रोज़ भगवती सरस्वती की आरती करतीं थीं और उनके परिवार ने कभी भी इस पर आपत्ति नहीं की। उन्होंने बताया कि उनकी बहन भी भरतनाट्यम और कथक की प्रशिक्षित नृत्यांगना हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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