Sunday, December 22, 2024
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‘वे मस्जिद तोड़ रहे और तुम मंदिर बना रहे’: अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर से बौखलाए इस्लामी कट्टरपंथी, UAE के शासक को भी दे रहे गाली

मंदिर को लेकर इस्लामी कट्टरपंथी उलटी सीधी टिप्पणियाँ कर रहे हैं, वहीं साथ ही वह अबूधाबी के शासकों से पूछ रहे हैं कि आखिर मंदिर का कार्यक्रम होने ही क्यों दिया गया?

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के अबू धाबी में बने BAPS स्वामी नारायण मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वहाँ पहुँचे हैं। वह अबू धाबी में बुधवार (14 फरवरी 2024) को इस मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस बीच इस्लामी कट्टरपंथियों ने इस मंदिर पर अपनी घृणा दिखानी शुरू कर दी है।

अबू धाबी में नवनिर्मित इस मंदिर को लेकर सोशल मीडिया पर इस्लामी कट्टरपंथी लगातार टिप्पणी कर रहे हैं। वे उल्टी सीधी टिप्पणी कर रहे हैं। इसके साथ ही कट्टरपंथी इस्लामी संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के शासकों से पूछ रहे हैं कि एक इस्लामी मुल्क में आखिर मंदिर का कार्यक्रम होने ही क्यों दिया जा रहा है।

अबू धाबी में स्थित इस BAPS स्वामी नारायण मंदिर को लेकर जब UAE के सबसे बड़े समाचार पत्र खलीज टाइम्स ने ट्विटर पर खबर शेयर की तो कट्टरपंथी भड़क गए। ऐसे ही एक कट्टरपंथी ने लिखा, “वो तुम्हारी मस्जिदें गिराएँ और तुम उनके मंदिर बनाते जाओ। उनको शर्मिन्दा होना चाहिए, जिन्होंने इसे बनाया और इसके लिए पैसे दिए।”

उवैद खान नाम के एक कट्टरपंथी ने पूछा, “UAE ने इस कार्यक्रम की अनुमति ही क्यों दी?”

वहीं, एक दूसरे कट्टरपंथी ने लिखा, “मेरी दुआ है कि अरब मुनाफिक (अरब के मौलाना) इस मंदिर को चलाएँ।”

एक और कट्टरपंथी ने UAE के शासकों पर मंदिर को लेकर प्रश्न उठाए। हमीद रजा ने लिखा, “क्या हुआ अगर वे (हिंदू) भारत में मस्जिद को गिरा रहे हैं और मुस्लिम को मार रहे हैं। आप यूएई के बेशर्म लोगों पर शर्म आनी चाहिए।”

एक कट्टरपंथी ने तो यहाँ तक कह दिया कि कैसा हो अगर शेख जायद मस्जिद को ढहा कर मंदिर बना दिया जाए, ताकि हिन्दू खुश हो जाएँ।

क्या है UAE के इस मंदिर की खासियत

इस नवनिर्मित मंदिर को 1 मार्च 2024 आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। मंदिर परिसर में एक विजिटर केंद्र, प्रार्थना कक्ष, प्रदर्शनियाँ, लर्निंग सेंटर, बच्चों और युवाओं के लिए खेल क्षेत्र, उद्यान, पानी की सुविधाएँ, फूड कोर्ट, पुस्तक एवं उपहार की दुकानों के साथ अन्य सुविधाएँ भी होंगी।

जिस मंदिर का प्रधानमंत्री उद्घाटन करेंगे, वह अबू धाबी का पहला हिंदू मंदिर है। यह मंदिर संयुक्त अरब अमीरात के अमीर द्वारा उपहार में दी गई 27 एकड़ भूमि पर बना है। स्वामी नारायण मंदिर के निदेशक प्रणव देसाई ने इस मंदिर के लिए संयुक्त अरब अमीरात और भारतीय नेतृत्व को आभार जताया है।

बता दें स्वामीनारायण संप्रदाय की वेबसाइट के अनुसार, इस संप्रदाय का हिंदू मंदिर UAE के अबू धाबी, दुबई, शारजाह और रुवैस शहर में स्थित हैं। ये मंदिर या तो बन गए हैं या फिर बन रहे हैं। अगर मीडिल ईस्ट की बात करें तो स्वामीनारायण मंदिर ओमान के मस्कट और सोहर तथा कुवैत एवं बहरीन में भी स्थित हैं।

दरअसल, स्वामीनारायण संप्रदाय के बोचासनवासी अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) के तत्कालीन अध्यक्ष स्वामी महाराज 5 अप्रैल 1997 को UAE के शारजाह के एक रेगिस्तानी इलाके में गए। वहाँ पर स्वामी जी विश्व शांति और सभी धर्मों में एक-दूसरे के प्रति प्रेम के लिए प्रार्थना की। उन्होंने सभी देशों की प्रगति की भी कामना की। इसके साथ ही उन्होंने अपनी इच्छा से अबू धाबी में एक मंदिर बनाने के लिए भी प्रार्थना भी की।

अगले दो दशकों में स्वामीनारायण संप्रदाय के संतों एवं भक्तों ने स्वामी जी की कल्पना के अनुसार मंदिर बनाने के लिए UAE के लोगों एवं वहाँ के नेताओं से मुलाकात की और उनसे इसके लिए इजाजत माँगी। इसके साथ ही उन्होंने मंदिर बनाने के लिए जमीन की भी माँग की।

साल 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार आई और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। इसके बाद भारत और UAE के बीच आपसी विश्वास का माहौल बना और दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत हुए। इसके बाद साल 2015 में UAE की सरकार ने हिंदू मंदिर के लिए जमीन आवंटित की थी।

इसके बाद पीएम मोदी ने UAE सरकार की दिल खोलकर सराहना की थी। TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था, “मैं अबू धाबी में मंदिर बनाने के लिए भूमि आवंटित करने के फैसले के लिए संयुक्त अरब अमीरात सरकार का बहुत आभारी हूँ। यह एक महान कदम है।” मंदिर परियोजना के निर्माण, विकास और प्रशासन के लिए दोनों सरकारों ने स्वामीनारायण संस्था और मंदिर लिमिटेड को चुना।

इसके बाद अबू धाबी-दुबई राजमार्ग के नजदीक अबू धाबी-स्वीहान-अल ऐन रोड पर अल रहबा क्षेत्र के अबू मुरीखा में इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। इस मंदिर में सात टावर हैं, जो संयुक्त अरब अमीरात में स्थित सात अमीरात का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस मंदिर को बनाने की आधिकारिक घोषणा फरवरी 2018 में शाही दरबार में की गई थी और अप्रैल 2019 में शिलान्यास समारोह आयोजित किया गया था। मई 2023 में 30 से अधिक देशों के राजनयिकों ने निर्माणाधीन मंदिर का दौरा किया था।

मंदिर के प्रवक्ता के अनुसार, प्राचीन प्रथाओं का पालन करते हुए इस मंदिर के निर्माण में लोहे या स्टील का उपयोग नहीं किया गया है। यह विशाल मंदिर पूरी तरह से पत्थर से बनाया गया है। इसे बनाने के लिए 700 से अधिक कंटेनरों में 20,000 टन से अधिक पत्थर और संगमरमर अबू धाबी भेजा गया। नींव को भरने के लिए फ्लाई ऐश का उपयोग किया गया है, जिससे कंक्रीट मिश्रण में 55 प्रतिशत सीमेंट की जगह ली गई है।

इस मंदिर को पर्यावरण के अनुकूल बन गया है। इसके कार्बन फुटप्रिंट में भी कमी आई है। मंदिर की संरचना की निगरानी के लिए, दबाव, तापमान और भूकंपीय घटनाओं का लाइव डेटा हासिल करने के लिए विभिन्न स्तरों पर 300 से अधिक सेंसर लगाए गए हैं। गुजरात और राजस्थान के कारीगरों को बुलाकर मंदिर के खंभों एवं दीवारों पर मोर, घाथी, घोड़े, ऊँट, चंद्रमा आदि को उकेरा गया है।

Islamists cry foul as pm modi reaches abu dhabi to inaugurate baps swaminarayan mandir

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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