जम्मू-कश्मीर में जिन तस्वीरों के लिए पत्रकारिता का बसे बड़ा पुरस्कार मिला है, उन तस्वीरों के जरिए ये दिखाने की कोशिश की गई है कि कश्मीर में भारतीय सेना और सुरक्षाबल ज्यादती कर रहे हैं। पूर्व कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने जम्मू-कश्मीर में ‘जिंदगी की असरदार तस्वीरें’ खींचने पर पुलित्जर पुरस्कार जीतने के लिए बधाई दी है।
हैरानी की बात है कि सुरक्षाबल आतंकियों से जंग में अपनी जान गँवा देते है, लेकिन उनके लिए कोई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार नहीं है। इन तस्वीरों के सामने आने के बाद जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक इम्तियाज हुसैन ने ट्विटर पर एक तस्वीर डाली। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा मारे गए एक ASI की बेटी की बिलखते हुए तस्वीर ट्वीट की।
तस्वीर ट्वीट कर उन्होंने लिखा, “आने वाले समय में इस तस्वीर में मानवता की अंतरात्मा की आवाज़ होनी चाहिए। कश्मीर में 2017 में वीरगति को प्राप्त हुए पुलिस की गमगीन बेटी। इस तस्वीर के लिए कोई पुरस्कार?”
This picture should haunt the conscience of humanity for times to come. An inconsolable daughter of a police officer martyred in 2017 in Kashmir.
— Imtiyaz Hussain (@hussain_imtiyaz) May 6, 2020
Any awards for this photograph? pic.twitter.com/TJwpZCPaF7
इम्तियाज हुसैन ने जो तस्वीर ट्वीट की है वह जोहरा की है। वह 5 साल की थी, जब उसके पिता अब्दुल राशिद 2017 में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के कारण मारे गए थे। राशिद जम्मू-कश्मीर पुलिस में सहायक उप-निरीक्षक थे। जोहरा की तस्वीरें उस समय वायरल हो गई थीं, लेकिन उन्हें किसी फोटोग्राफी पुरस्कार के योग्य नहीं माना गया, क्योंकि जैसा कि इम्तियाज हुसैन ने उल्लेख किया कि वो उनके नैरेटिव में फिट नहीं बैठता है।
हुसैन द्वारा ट्वीट की गई तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी, लेकिन दुर्भाग्य से लेफ्ट लॉबी से सहानुभूति हासिल करने में विफल रही, जो अभी भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को सामान्य बनाने और सशस्त्र बलों पर अलग-अलग आरोप लगाने में मशगूल हैं।
बता दें कि जिन तस्वीरों के लिए पुरस्कार दिया है, इसमें एक तस्वीर में पत्थरबाजों को हीरो की तरह पेश किया गया है। एक तस्वीर में पाकिस्तान का झंडा लिए लोग दिख रहे हैं। एक तस्वीर में सुरक्षाबलों को तोड़फोड़ करते दिखाया गया है।
एक तस्वीर में सुरक्षा जाँच करते हुए सुरक्षाकर्मियों को ऐसे दिखाया गया है जैसे जाँच कर वे कोई अपराध कर रहे हों। इन्हीं तस्वीरों में 6 वर्ष की एक कश्मीरी बच्ची को भी दिखाया गया जिसके बारे में लिखा गया कि भारतीय सुरक्षाबलों के जवानों द्वारा इस्तेमाल किए गए पैलेट गन से इस बच्ची की दाईं आँख चोटिल हो गई। एक तस्वीर में कश्मीर में उस प्रदर्शन को दिखाया गया जिसमें अलग कश्मीर के सपने का पोस्टर लोग लहरा रहे हैं।
जम्मू कश्मीर के फोटो जर्नलिस्ट चन्नी आनंद, मुख्तार खान और यासीन डार की इन तस्वीरों के जरिए यही कहानी बताई गई है और यही संदेश दिया गया है कि भारत के सुरक्षाबल कश्मीर में गलत कर रहे हैं। भारत विरोधी ऐसा एजेंडा दुनिया को बहुत पसंद आता है और इसलिए हैरानी नहीं होनी चाहिए कि इन तस्वीरों पर पुलित्जर पुरस्कार भी मिल गया है।