बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ चल रहे नरसंहार पर पूरी तरह चुप्पी साधे रखने के कुछ दिनों बाद, अब सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने हमलों को अंजाम देने वाले कट्टरपंथी मुस्लिमों की भूमिका को नजरअंदाज करते हुए पूरे मामले में ही लीपापोती करने उतर आए हैं।
प्रशांत भूषण बांग्लादेश में मुस्लिमों द्वारा किए गए जघन्य अपराधों को गायब करते हुए उन्हें मसीहा साबित करने के लिए ‘द लाइव टीवी’ नाम के एक प्रोपेगेंडा चैनल का बड़ी म्हणत से खोजकर एक ऐसा वीडियो साझा किया, जिसमें यह झूठा दावा किया गया, “बांग्लादेश के लाखों बहुसंख्यक मुसलमान हिंदुओं की रक्षा में सड़कों पर उतर आए।”
मंगलवार (19 अक्टूबर, 2021) सुबह एक ट्वीट हुए प्रशांत भूषण ने जोर देते हुए कहा, “देखना चाहिए। कुछ असामाजिक तत्वों ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमला किया। लेकिन, लाखों बहुसंख्यक मुसलमान हिंदुओं का समर्थन करने के लिए उनके खिलाफ सड़कों पर उतर आए।”
यहाँ यह ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण है कि प्रशांत भूषण ने अपने फॉलोवर्स को यह बताने से परहेज किया कि मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा कथित ‘कुरान के अपमान’ की अफवाहों पर हिन्दुओं पर ये हमले किए गए थे, लेकिन ‘मुस्लिम’ शब्द का उल्लेख उन लोगों के लिए किया था जो कथित तौर पर हिंदुओं के समर्थन में सामने आए थे। अधिवक्ता ने अपने दावों की पुष्टि के लिए बाकायदा ‘द लाइव टीवी’ का एक वीडियो भी साझा किया था।
जरूर देखिए। बांग्लादेश में कुछ अराजक तत्यौं ने अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमला किया। लेकिन उन हमलावरों के खिलाफ बांग्लादेश के लाखों बहुसंख्यक मुसलमान हिंदुओं की रक्षा में, सड़कों पर उतर आए।https://t.co/1WQeMS6qLO
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) October 19, 2021
प्रशांत भूषण ने कट्टर मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं के खिलाफ क्रूर हमलों को ‘असामाजिक तत्वों द्वारा किए गए हमले’ के रूप में बताया, लेकिन यह दावा करने में कोई भूल नहीं कि सभी प्रदर्शनकारी मुस्लिम थे जो ‘हिंदुओं की रक्षा’ के लिए सड़कों पर उतर आए हैं।
प्रज्वल गौतम द्वारा प्रस्तुत 10 मिनट के लंबे वीडियो में, उन्होंने यही दावा किया कि लक्षित हमलों के बाद लाखों मुसलमानों ने हिंदू समुदाय के समर्थन में प्रदर्शन किया। बता दें कि यह सोमवार (18 अक्टूबर) को अपलोड किया गया था।
उसी दिन, लोकप्रिय ट्विटर यूजर अक्षय सिंह ने उसी वीडियो को इस कैप्शन के साथ साझा किया था, ‘बांग्लादेश में हिंदुओं द्वारा भारी विरोध’। उन्होंने बताया कि यह अकेले हिंदू समुदाय द्वारा एक प्रदर्शन था। रैली में कोई मुस्लिम नेता नजर नहीं आया।
Huge Protest by Hindus in Bangladesh. pic.twitter.com/oxlJXtVH3X
— Akshay Singh (@iakshaysinghel) October 18, 2021
निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने भी इसी तरह का एक वीडियो साझा करते हुए इसे ‘हिंदुओं और गैर-सांप्रदायिक प्रगतिशील लोगों द्वारा प्रदर्शन’ कहा था। उन्होंने भी लाखों मुसलमानों की मौजूदगी का कोई जिक्र नहीं किया।
Hindus and non-communal progressive people took to the street in Chitagong, Bangladesh to protest the atrocities against Hindus/ crime against humanity. pic.twitter.com/ZXhmAzR2eY
— taslima nasreen (@taslimanasreen) October 18, 2021
हालाँकि, यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि विरोध के दौरान कोई मुस्लिम मौजूद नहीं था, हाँ इसकी बहुत कम संभावना है कि लाखों मुसलमान जुलूस का हिस्सा थे। लोकप्रिय ट्विटर यूजर (@BefittingFacts) ने यह भी बताया कि पारंपरिक स्कल टोपी और दाढ़ी में कोई भी मुस्लिम व्यक्ति नहीं देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए जुलूस में बहुतायत हिन्दुओं की है।
The cover image you’re showing is from Lahore, Pakistan.
— Ankur (@iAnkurSingh) October 19, 2021
Kitna giroge inko defend karne ke liye? pic.twitter.com/wqKS30TmAw
प्रशांत भूषण के बढ़ा-चढ़ा कर किए दावों के अलावा, यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि वीडियो का थंबनेल कश्मीर क्षेत्र में एक विरोध प्रदर्शन की एक तस्वीर है। जिसमें प्रदर्शनकारी पाकिस्तानी और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के झंडे पकड़े नजर आ रहे हैं।
‘द लाइव टीवी’ द्वारा पोस्ट किए गए दावे और थंबनेल कम से कम कहने के लिए भ्रामक हैं और मुस्लिमों द्वारा हिंदू मंदिरों पर हमले और सताए गए हिंदुओं के साथ मुसलमानों की कथित एकजुटता दिखाकर, सब कुछ पाक-साफ और एक झूठी मिसाल देकर उनकी क्रूरता और इस घटना की भयावहता को कम करने की कोशिश की गई है।
लाइव टीवी, जिसके यूट्यूब पर 5.94 मिलियन सब्सक्राइबर हैं, जो लगातार हिंदुओं के प्रति नफरत, आपत्तिजनक दावों के साथ राष्ट्रवादी पत्रकारों को निशाना बनाने और मौजूदा भाजपा सरकार की छवि खराब करने के लिए भ्रामक और फेक कंटेंट पोस्ट करने के लिए बदनाम है।
बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा
बांग्लादेश के नोआखली जिले में क्रूर हमलों, बर्बरता, लूटपाट और आगजनी से वहाँ के हिन्दू बेहाल हैं। यह सिलसिला पिछले कई दिनों से जारी है। बुधवार (13 अक्टूबर) को ही हिंसक झड़प में करीब 150 घरों पर मुस्लिमों द्वारा हमला किया गया था और कम से कम तीन लोग मारे गए थे।
एक दिन बाद फिर, कट्टरपंथी मुस्लिमों की एक उन्मादी भीड़ ने बांग्लादेश के चटगाँव डिवीजन में नोआखली जिले में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) मंदिर पर हमला किया। इस्कॉन की बांग्लादेश इकाई ने खेद व्यक्त किया कि मंदिर में आगजनी के दौरान इसके संस्थापक एसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की मूर्ति को भी जला दिया गया था।
बता दें कि एक दुर्गा पूजा पंडाल में ‘कुरान का अपमान’ करने का दावा करने वाली एक फेसबुक अफवाह के वायरल होने के बाद हिंसा और तोड़फोड़ शुरू हुई। सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया जहाँ मुस्लिमों की भीड़ को बांग्लादेश के चाँदपुर इलाके में पथराव और अस्थायी दुर्गा पूजा पंडालों में तोड़फोड़ करते और हिंदू परिवारों पर हमला करते देखा गया।
बांग्लादेश के एक सोशल मीडिया यूजर ने कहा कि मुस्लिमों की भीड़ एक स्थानीय इस्कॉन मंदिर को जलाने के लिए उकसा रही थी। बांग्लादेशी सोशल मीडिया यूजर्स ने बताया था कि हमलों की आड़ में बड़े पैमाने पर लूटपाट और महिलाओं से छेड़छाड़ भी हुई है। चाँदपुर क्षेत्र में 2 व्यक्ति मृत पाए गए हैं।
उसके बाद के दिनों में भी, हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न जारी था क्योंकि रंगपुर में हिंदुओं के कई घरों को जला दिया गया था।
इस घटना के बाद, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सांप्रदायिक हमलों और प्रोपेगेंडा फैलाने वाले अपराधियों की पहचान करने और उन्हें दंडित करने का आदेश दिया। इस बीच, नई दिल्ली में, विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह उच्चायोग के अधिकारियों के संपर्क में है और बांग्लादेश सरकार द्वारा कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।
वहीं बताया जा रहा है घटना के बाद से, बांग्लादेश पुलिस ने 100 से अधिक गिरफ्तारियाँ की हैं और मामले की जाँच अभी भी जारी है।