भीमा-कोरेगॉंव हिंसा के आरोपितों की जमानत याचिका हाल ही में खारिज की गई थी। एनसीपी नेता का कहना है कि इस मामले में पिछली सरकार ने फर्जी मामले दर्ज किए थे। उन्होंने आरे मेट्रो मामले की तरह इससे जुड़े केस भी बंद करने को कहा है।
इस मामले में नवलखा के अलावा वरवरा राव, अरुण फरेरा, वर्णन गोन्साल्विज और सुधा भारद्वाज भी आरोपित हैं। पुणे पुलिस ने 31 दिसंबर, 2017 को एल्गार परिषद के बाद एक दिसंबर को भीमा-कोरेगाँव में हुई कथित हिंसा के मामले में जनवरी, 2018 को FIR दर्ज की थी।
नवलखा के खिलाफ पुणे पुलिस ने जनवरी 2018 में प्राथमिकी दर्ज की थी। इसके खिलाफ उसकी याचिका ख़ारिज करते हुए अदालत ने कहा, "मामला भीमा-कोरेगॉंव हिंसा तक ही सीमित नहीं है। इसमें कई और पहलू हैं। गंभीरता को देखते हुए हमें लगता है कि पूरी छानबीन जरूरी है।"