“मैं यह भी प्रार्थना करता हूँ कि जब वह बाहर आएँ तो कश्मीर की स्थिति को सुधारने में अपना योगदान दें। मुस्लिम भारत के नागरिक और हमारे भाई हैं। वह हमारे जिगर का टुकड़ा है। कुछ ताकतें हैं, जो उन्हें गुमराह कर रही हैं।”
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस विषय पर लोकसभा में ऐसे अपराधों की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा हर सुझाव को स्वीकार करने की बात कही। दोनों सदनों में इस वीभत्स घटना को लेकर सभी पार्टियों के सांसदों ने क्षोभ प्रकट किया।
रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि यह निर्णय सैन्य बलों की माँग और ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। इसके अलावा यह भी बताया है कि यह कदम सैनिकों के मनोबल में बढ़ोतरी के लिए उठाया गया है।
पूर्व एयर मार्शल बीएस धनोआ के अनुसार उनके बयान को राजनीति से जोड़ने वाले गलत साबित हुए हैं। उन्होंने एक बार फिर दोहराया है कि राफेल शानदार विमान है और वायु सेना इससे सशक्त होगी।
"इस फैसले को सहज रूप से सभी को स्वीकार करना चाहिए। इससे सर्वधर्म सद्भाव की भावना भी और मजबूत होगी और साथ ही साथ उन्होंने विश्वास जताया कि इससे सामाजिक ताना-बाने को भी मजबूती मिलेगी।"
सैनिक स्कूलों को पारंपरिक रूप से एक पुरुष गढ़ के रूप में देखा जाता है। इन स्कूलों में लड़कियों को प्रवेश देना राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में महिला कैडेटों को शामिल करने की दिशा में पहला क़दम है।
राजनाथ ने हरियाणा की पूर्ववर्ती सरकारों की कार्यशैली पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जमीनी स्तर पर काम किया है। कॉन्ग्रेस और इनेलोद के मुख्यमंत्री तो दिल्ली के इशारों पर सरकार चलाते थे।
गफूर के अनुसार, "शस्त्र पूजा धर्मसम्मत है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि याद रखें यह केवल मशीन नहीं है जो मायने रखती है, बल्कि मशीन चलाने वाले का संकल्प और जुनून अहमियत रखता है।"
"सभी धर्मों के लोगों को अपनी आस्था के अनुसार प्रार्थना करने का अधिकार है। यदि किसी और ने ऐसा किया होता, तब मैं इस पर कोई आपत्ति नहीं करता। मुझे लगता है कि कॉन्ग्रेस पार्टी में भी इस मामले पर राय बँटी हुई होगी। जरूरी नहीं है कि हर किसी की यही राय हो।"