पूर्व एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा की रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार पर शेषनाग और हिंदू देवी-देवताओं की कलाकृति साफ नजर आ रही है।
मंदिर के तोड़े जाने का एक महत्वपूर्ण प्रमाण 'मा-असीर-ए-आलमगीरी’ नाम की पुस्तक भी है। यह पुस्तक औरंगज़ेब के दरबारी लेखक सकी मुस्तईद ख़ान ने 1710 में लिखी थी।
ज्ञानवापी सर्वे पूरा होने के बाद इसकी रिपोर्ट पेश करने के लिए दो दिन का समय माँगा गया। इसके अलावा परिसर में कुछ दीवार गिराकर वीडियोग्राफी के लिए भी अनुमति माँगी गई।