मुनव्वर राना ने जिस 'माँ' पर लिखे शेर पर जिंदगीभर वाह-वाही लूटी, वास्तव में वो मशहूर लेखक कवि आलोक श्रीवास्तव द्वारा लिखी गई 'अम्मा' कविता से चुराई गईं हैं।
जिन लेखकों को मोदी सरकार से डर लगता था, क्या उनका डर अब ख़त्म हो गया है? क्या इन लेखकों के पास नैतिकता नहीं है या फिर नैतिकता को स्वार्थ और लोभ ने ढक लिया है?