बांग्लादेशी घुसपैठ से परेशान होकर 1979 से 1984 तक ‘अखिल असम छात्र संघ’ ने इनके खिलाफ आंदोलन किया था। इसके बाद 1985 में असम समझौता (असम एकॉर्ड) पर हस्ताक्षर हुआ था
जबकि भाजपा नागरिकता बिल को पारित करके असम व दूसरे राज्यों में रहने वाले बाहरी लोगों को देश से बाहर निकालना चाहती ताकि नॉर्थ ईस्ट के मूल नागरिकों को किसी तरह से कोई समस्या न हो।