मौलाना अबुल कलाम का राष्ट्रीयता और भारतीयता में गहरा यकीन था। उन्होंने धर्म के आधार पर देश के विभाजन का विरोध किया था। पाकिस्तान परस्मुतों को चेताया था। शायद यही कारण है कि इरफान हबीब जैसे वामपंथी उनका नाम सुनते ही आपा खो बैठते हैं।
आरिफ मोहम्मद खान ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि इसके जरिए मोदी सरकार ने महात्मा गॉंधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस द्वारा किए गए वादे को पूरा किया है।
उन्होंने उपनिषदों को उद्धृत करते हुए कहा कि उपनिषदों में बताया गया है कि "द्वय", पराएपन की भावना डर पैदा करती है। साथ ही कुरान में से मौलाना अली की एक आयत के ज़रिए बताया कि जिससे इंसान अनभिज्ञ होता है, उससे डर पैदा होता है।